शिलांग: मेघालय की राजधानी शिलांग में सरकारी स्कूलों के संविदा शिक्षक अपनी बहाली को लेकर बीते गुरुवार को सड़कों पर उतर आए। जी दरअसल शिक्षक शिलांग में सचिवालय में घुसने की कोशिश करने लगे और इस दौरान प्रदर्शनकारियों और शिक्षकों की पुलिस भिड़ंत हो गई। जी दरअसल शिक्षक सचिवालय के मुख्य द्वार के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे और मांग कर रहे थे कि उन्हें उनकी नौकरी वापस दी जाए। जी दरअसल मेघालय शिक्षक पात्रता परीक्षा (एमटीईटी) को पास करने में विफल रहने के बाद 800 से अधिक संविदा शिक्षकों की दो साल पहले सेवा समाप्त कर दी थी और तब से शिक्षक मेघालय सरकार लोअर प्राथमिक संविदा शिक्षक संघ (एमजीएलपीसीटीए) के बैनर तले विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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वहीं राज्य सचिवालय भवन में घुसने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने कथित तौर पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े। बताया जा रहा है उपद्रव के दौरान प्रदर्शनकारियों के साथ उनके बच्चों सहित उनके परिवार के सदस्य भी साथ थे। वहीं प्रदर्शनकारियों में कई गर्भवती महिलाएं भी थीं। कहा जा रहा है पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज पर खासी छात्र संघ (केएसयू) ने कड़ी आलोचना की है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मांग की है। इसी के साथ एक अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव डीपी वहलांग प्रदर्शनकारियों से मिलना चाहते थे लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। दूसरी तरफ एमजीएलपीसीटीए के बीरबोर रियांगटेम ने कहा कि, 'वे अपने मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा से सात बार मिल चुके हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।'
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इसी के साथ उन्होंने कहा कि सीएम ने हमें अपने कमरे से भगा दिया। इसलिए, हम सरकार से मिलना नहीं चाहते क्योंकि वे केवल हमें बेवकूफ बनाएंगे। संगमा ने हमको हमारी मांग की जांच करने का आश्वासन दिया था, लेकिन दो साल बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। इसी के साथ रियांगटेम ने कहा कि वे मुख्य सचिव से मिलने को तैयार नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अपने शब्दों से हमें भी बेवकूफ बनाया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार को हमारा स्पष्ट संदेश है कि अगर वे चाहते हैं कि हम इस आंदोलन को वापस ले लें, तो उन्हें हमारी सेवाओं को बहाल करने का आदेश दे।
आपको बता दे कि लाठीचार्ज में घायल हुए रियांगटेम के साथ उनके दो बेटे भी थे। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मेरे बच्चे स्कूल जाना चाहते हैं, लेकिन मेरे पास दो साल से नौकरी नहीं है, मैं उन्हें शिक्षा कैसे दूंगा? इसलिए मेरा परिवार मेरा साथ देने आया है।
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