शीतला सप्तमी पर इस कहानी को सुनने से मिलता है धन-धान्य
शीतला सप्तमी पर इस कहानी को सुनने से मिलता है धन-धान्य
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आप सभी को बता दें कि कल यानी 27 मार्च को शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है जो बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. कहते हैं इसके पीछे एक बहुत ही शानदार कहानी है जिसे इस दिन व्रत रखने वाले को सुनना चाहिए. आइए जानते हैं वह कहानी.

कहानी - चेत्र का महिना आया. होली के बाद के दिन आये , शीतला सप्तमी माता आई. सभी लोग कहने लगे “ माता आई “ “ माता आई “ शीतला माता के स्वागत के लिए किसी ने हलवा बनाया , किसी ने लापसी. माता के गर्म खाने का भोग लगाया , माता के अंग अंग में आग जलने लगी तो माता दोडी – दोडी कुम्हार के घर गई. कुम्हार को कहा , “ मेरा अंग – अंग जल रहा हैं कुम्हार ने माँ के ठंडी मिट्टी से लेप कर दिया , शीतला माता को थौड़ा आराम मिला बोली बेटा मुझे भूख लगी हैं. कुम्हार के घर रात की बनी रोटी राबड़ी रखी थी , उसने माता को खिला दी, इससे माता का ताप शांत हुआ और कुम्हार पर प्रसन्न हो बोली सारी नगरी में हा हा कार होगा , केवल तेरा घर बचेगा और तेरे घर में सदा अन्न धन के भंडार भरे रहेंगे सारी नगरी में त्राहि –त्राहि करने लगे और कुम्हार का घर बच गया.

सारे लोगो ने कुम्हार से पूछा कुम्हार तूने क्या जादू किया जिससे सारा नगर नष्ट हो गया और तेरा घर बचा रहा. कुम्हार बोला मैंने माता को शीतल किया तुम सब ने माता को गर्म भोजन करवाया जिससे माता के अंग – अंग में छाले में हो गये थे इसी कारण माता का कोप हुआ और नगर में त्राहि त्राहि मच गई. लोगो ने पूछा माता कहाँ हैं ? तो कुम्हार कहने लगा माता नीम की छाया में बैठी हैं. सभी शीतला माता की शरण में गये और माता से क्षमा मांगी और माता ने कहा ! तुमने मुझे गर्म भोजन खिलाया जिससे मेरे मुँह में छाले हो गये. कुम्हार ने मुझे ठंडा भोजन करवाया , जिससे मुझे ठंडक मिली. इसी कारण सारा नगर नष्ट हो गया.” और कुम्हार का घर महल बन गया. लोगो ने विनती की माता अब क्या करे. “

तो माता बोली होली के सात दिन बाद शीतला सप्तमी आती हैं , उस दिन सब नगर निवासी छठ को बनाये खाने से मेरी पूजा करे व भोग लगाये और माता अंतर्धयान हो गई. अगले साल शीतला सप्तमी आई सब ने ठंडा बनाया भोग लगाया माता की पूजा की जिससे माता प्रसन्न हुई और सारी नगरीमें आनन्द हो गया. हे शीतला माता ! जैसे सारे नगर वासियों को क्षमा किया , उन पर प्रसन्न हुई वैसे सभी पर प्रसन्न रहना , भूल – चुक क्षमा करना. इसके बाद पथवारी माता व गणेश जी की कहानी सुनना चाहिए.

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