समृद्धि या अभिशाप
समृद्धि या अभिशाप
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शीना मर्डर केस में हर रोज नए खुलासे हो रहे है। इस मामले की असलियत चाहे जो भी हो अब तक जो भी बात सामने आई है उसने समाज के अंतर्मन को अंदर तक हिलाकर रख दिया है। व्यक्तिगत जीवन में लोग कैसे भी रहे अथवा संबंध रखे ये उनका निजी मामला माना जाता है, परन्तु जब आपके संबंध और उससे उठी गांठे समाज के न्यूनतम स्वीकृत दायरों को भी भींचकर रख दे तो मुद्दा व्यक्तिगत नही रह जाता है। इस मामले में बहुत से सवाल है जो शायद पुलिस, अदालत और कानून के दायरे से कही बड़े और व्यापक है। पुलिस की तहकीकात अभी जारी है और जल्द में कोई निष्कर्ष निकलना उचित नही। मगर कुल मिलकर अब तक जो बाते छनकर सामने आई है वो लालच, महत्वकांशा, निर्ममता, उदासीनता, और रिश्तो के खोखलेपन की एक घिनोनी तस्वीर पेश करती है। एक ऐसी तस्वीर जो परिवार की बुनियाद पर ही प्रहार करती है। हर सामान्य नागरिक हर व्यक्ति दुसरो से या फिर खुद से सवाल पूछता नज़र आ रहा है। ये सवाल ऐसे है जिनका उत्तर किसी तर्क या कानूनी नुक्ते में नही मिल सकता।

मसलन इंद्राणी मुखर्जी के कितने पति थे या है? उनका बेटा मिखाइल 3 साल से चुप क्यों था? इंद्राणी क्या वाकई इतनी शातिर है की अपने पूर्व पति, वर्तमान पति, बेटे, दत्तक पुत्री,पुलिस, माँ-बाप सबको एक साथ खेल खिला रही थी? आखिर संजीव मल्होत्रा का लालच क्या था? पिटर मुखर्जी जैसा व्यक्ति क्या वाकई कुछ नही जनता है? उनका बेटा राहुल जिसे शीना का प्रेमी बताया जा रहा है वह भी 3 साल तक बोला क्यों नही? इस डिजिटल दुनिया में किसी ने तीन साल तक एक लड़की को ढूंढने की कोशिश तक नही की? अगर यहाँ गैर पढ़े लिखे लोगो का सवाल होता तो शायद मन मान भी जाता की उनके पास साधन नही थे, मगर ये तो समाज के तथाकथित संभ्रांत, शिक्षित, आधुनिक और संपन्न लोग है , ये क्यों चुप रहे? ये चुप्पी मन को कुरेदती है। इस अपराध के दो कारण हो सकते है। एक तो पैसा दूसरा राहुल और शीना के आपसी संबंधो पर इंद्राणी को आपत्ति। वे निजी जीवन में कैसी है, उन पर टिप्पणी करने का मकसद यहाँ नही है, मगर उनके संबंधो का जो इतिहास आज मीडिया में आ रहा है उससे साफ है की नैतिकता और लोक मर्यादा की सामान्य परिभाषा उनपर लागु नही होती है।

इंद्राणी तो परिवार, स्त्री-पुरुष संबंधो की किसी मान्यता को मानती नज़र नही आती। राहुल न तो उनके पेट जाये है न ही उनसे शीना का कोई रक्त संबंध है, तो फिर क्या राहुल और शीना के संबंधो के कारण वो हत्या जैसी साजिश रचेंगी ये बाद सीधे पचती नही है। तो फिर एक ही बात समझ में आती है वो है निन्याने का फेर, यानि ये वारदात पैसे और संपत्ति के कारण हुई है। यही मन दहल जाता है, ऐसा नही है की दौलत के लिए किया गया ये पहला और आखरी अपराध है। पैसे के लिए आदमी कई बार कुछ भी कर गुजरता है, मगर इस मामले में रिश्तो की कड़िया इसे अनूठा बना देती है। यहाँ मिखाइल और ड्राइवर शिवनारायण को छोड़ दिया जाये तो बाकि किरदारों का पेट गर्दन तक भरा हुआ है। फिर पैसे के लिए इतनी मारामारी? इस मामले से ये और लगता है हमारे समाज में एक ऐसा वर्ग पैदा हो गया है, जिसके लिए मान मर्यादा की कोई लक्ष्मण रेखा नही है।

उसका लक्ष्य है की किसी भी तरह पैसा हासिल हो जाए बस। वैसे पैसा कामना और जोड़ना अपने आप में कोई पाप नही है, मगर पैसा तो किसी लक्षय के लिए होता है। पैसे से आप बहुत कुछ कर सकते है, मगर अपने आप में सिर्फ पैसा कुछ नही है। यानि की यदि आपके पास कोई मकसद या उद्देश्य नही है तो फिर पैसा बस पैसे के लिए हो जाता है। इन्द्राणी भी लगता है इसी मायाजाल में फांसी फिर उन्होंने सब कुछ दांव पर लगा दिया। महत्वकांशा और लालच में वे सब कुछ भूल गई। परिवार, रिश्ते,पति और यहाँ तक की अपने बच्चे भी जिन्हे उन्होंने 9 महीने तक अपनी कोख में रखा? उनकी सारी संवेदनाएं, भाव और कोमलताए पैसे की इस अंधी ललक में मानो तिरोहित हो गई हो।

संदीप मीणा

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