नवरात्र का दूसरा दिन: जानिए मां ब्रह्मचारिणी की कथा
नवरात्र का दूसरा दिन: जानिए मां ब्रह्मचारिणी की कथा
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आज से यानी 17 अक्टूबर से नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो गया है। ऐसे में कल यानी 18 अक्टूबर को नवरात्रि का दूसरा दिन है। वैसे तो आप सभी जानते ही होंगे दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। जी दरअसल ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ होता है आचरण करने वाली, अर्थात ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है तप का आचरण करने वाली। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं मां ब्रह्मचारिणी की कथा।

मां ब्रह्मचारिणी की कथा - मां ब्रह्मचारिणी ने हिमालय के घर पुत्री रूप में जन्म लिया था और नारद जी के उपदेश से भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इन्हें  ब्रह्मचारिणी नाम से जाना गया। एक हजार वर्ष तक इन्होंने केवल फल-फूल खाकर बिताए और सौ वर्षों तक केवल जमीन पर रहकर शाक पर निर्वाह किया। कुछ दिनों तक कठिन व्रत रखे और खुले आकाश के नीचे वर्षा और धूप के घोर कष्ट सहे। तीन हजार वर्षों तक टूटे हुए बिल्व पत्र खाए और भगवान शंकर की आराधना करती रहीं। इसके बाद तो उन्होंने सूखे बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार रह कर तपस्या करती रहीं। 

कठिन तपस्या के कारण देवी का शरीर एकदम क्षीण हो गया। देवता, ऋषि, सिद्धगण, मुनि सभी ने ब्रह्मचारिणी की तपस्या को अभूतपूर्व पुण्य कृत्य बताया, सराहना की और कहा- हे देवी आज तक किसी ने इस तरह की कठोर तपस्या नहीं की। यह आप से ही संभव थी।। आपकी मनोकामना परिपूर्ण होगी और भगवान चंद्रमौलि शिवजी तुम्हें पति रूप में प्राप्त होंगे। अब तपस्या छोड़कर घर लौट जाओ। जल्द ही आपके पिता आपको लेने आ रहे हैं। 

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