श्रीकृष्ण के रास से लेकर चंद्रमा से बरसने वाले अमृत तक के लिए मनाते हैं शरद पूर्णिमा पर
श्रीकृष्ण के रास से लेकर चंद्रमा से बरसने वाले अमृत तक के लिए मनाते हैं शरद पूर्णिमा पर
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आप सभी को बता दें कि हिंदू धर्म ग्रंथों में भी इस पूर्णिमा को विशेष कहते हैं और ऐसे में इस बार शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर को है और आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों शरद पूर्णिमा की रात इतनी खास होती है और इससे जुड़े विभिन्न पहलू व मनोवैज्ञानिक पक्ष.


चंद्रमा से बरसता है अमृत - कहते हैं शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणें विशेष अमृतमयी गुणों से युक्त रहती हैं, जो कई बीमारियों का नाश कर देती हैं। इसी वजह से शरद पूर्णिमा की रात को लोग अपने घरों की छतों पर खीर रखते हैं, जिससे चंद्रमा की किरणें उस खीर के संपर्क में आती है, इसके बाद उसे खाया जाता है। इसी के साथ कुछ स्थानों पर सार्वजनिक रूप से खीर का प्रसाद भी बांटा जाता है.

 महालक्ष्मी - कहते हैं शरद पूर्णिमा से जुड़ी एक मान्यता ऐसी भी है कि इस दिन माता लक्ष्मी रात्रि में यह देखने के लिए घूमती हैं कि कौन जाग रहा है..? कहते हैं जो जाग रहा होता है महालक्ष्मी उसका कल्याण करती हैं तथा जो सो रहा होता है वहां महालक्ष्मी नहीं ठहरतीं.

 श्रीकृष्ण ने रचाया था रास- कहते हैं शरद पूर्णिमा को रासलीला की रात भी कहते हैं और धर्म शास्त्रों के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात को ही भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रास रचाया था.

खीर खाने का है महत्व - कहते हैं शरद पूर्णिमा की रात में खीर का सेवन करना इस बात का प्रतीक है कि शीत ऋतु में हमें गर्म पदार्थों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इसी से हमें जीवनदायिनी ऊर्जा प्राप्त होगी.

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