शरद पूर्णिमा को इस यह काम करता था रावण, मिलता था अद्भुत फल
शरद पूर्णिमा को इस यह काम करता था रावण, मिलता था अद्भुत फल
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कहा जाता है अश्विन महीने की शरद पूर्णिमा बहुत ज्यादा ही खास होती है. ऐसे में इस साल शरद पूर्णिमा 24 अक्टूबर को मनाई जाने वाली है और शरद पूर्णिमा से ही शरद ऋतु यानि सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है. ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा सोलह संपूर्ण कलाओं से युक्त होकर अमृत बरसाता है और उस अमृत से सब कुछ अच्छा होता है. आप सभी शायद ही इस बात से वाकिफ हो कि इस दिन लंकापति रावण अपनी नाभि पर चंद्रमा की किरणों को लेकर पुन: शक्तिशाली होता था वह सबसे ज्यादा ताकतवर इसी कारण हुआ था.

आप सभी को यह भी बता दें कि शरद पूर्णिमा के महत्व का वैज्ञानिक अध्ययन भी हुआ है और कहते है इस दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है और इसका असर जीव-जंतु सब पर पड़ता है. इसी के साथ इस दिन चांदनी के सम्पर्क में रहने से व्यक्ति में अद्भुत शक्ति का संचार होता है. वहीं कई लोग ऐसा भी कहते हैं कि सच्चे मन से इस दिन माता की उपासना और रातभर जागरण करने से माँ की कृपा होती है और वह आपकी हर मनोकामना पूरी कर देती हैं.

आप सभी को पता ही होगा कि शरद पूर्णिमा को काजागरी पूर्णिमा भी कहते है और इस वजह से शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. वहीं अगर बात करें पौराणिक महत्व की तो उसके अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने महारास रचाया था और इस कारण शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है और साथ ही शरद पूर्णिमा में रात को गाय के दूध से बनी खीर या दूध छत पर रखने से लाभ होता है.

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