राज ठाकरे के बयान से भड़के शारद पवार, कही यह बात
राज ठाकरे के बयान से भड़के शारद पवार, कही यह बात
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मुंबई: राज्य में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उदय के बाद ही जातिवाद बढ़ गया है। यह आरोप महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कुछ दिनों पहले लगाया था। ऐसे में अब राज ठाकरे के इस आरोप पर एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। हाल ही में पत्रकार परिषद आयोजित कर शरद पवार ने कहा, 'राज ठाकरे अपने दादा प्रबोधनकार ठाकरे द्वारा लिखी गई बातों को पहले ध्यान से पढ़ें।' आगे उन्होंने कहा, 'राज ठाकरे ने कहा था कि राज्य में जाति का मुद्दा नेताओं की आइडेंटिटी का मुद्दा बन गया है। यह मुद्दा राज्य में एनसीपी के उदय के बाद ज्यादा प्रमुखता से बढ़ता गया। राज ठाकरे ने कहा था, कौन है जेम्स लेन? वो बर्नाड शॉ है क्या? आज वो कहां है? यह सबकुछ डिजाइन किया गया है। इसी वजह से शिवाजी महाराज से जुड़ा इतिहास गलत तरीके से लिखा गया। यह करने वाले अमुक जाति के लोग हैं बोला गया।'

जी दरअसल इस विवाद की पृष्ठभूमि कुछ सालों पहले लिखी गई अमेरिकन लेखक जेम्स लेन की किताब Shivaji- The Hindu King in Muslim India में है। आपको बता दें कि इस किताब में दादाजी कोंडदेव (ब्राह्मण) को शिवाजी महाराज से संबंधित बताया गया। वहीँ यह भी आरोप है कि जेम्स लेन को सामने रखकर कुछ ब्राह्मण तबके के लोगों ने पुणे के भंडारकर इंस्टीट्यूट की लाइब्रेरी से इस तरह के रिसर्च उपलब्ध करवाए और जेम्स लेन से ऐसी बातें लिखवाईं। यह सब होने के बाद ही संभाजी ब्रिगेड (मराठा युवाओं का एक संगठन) ने भंडारकर इंस्टीट्यूट में तोड़फोड़ की थी। आपको बता दें कि संभाजी ब्रिगेड के बारे में कहा जाता है कि इस संगठन को शरद पवार का आशीर्वाद प्राप्त है। इसी मामले में राज ठाकरे के बयान का जवाब देते हुए शरद पवार ने कहा, 'अपने दादा की लिखी हुई बातें पढ़ें। प्रबोधनकार ठाकरे समाजसुधारक थे और ब्राह्मणवाद के खिलाफ थे।'

वहीँ दूसरी तरफ संभाजी ब्रिगेड के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण गायकवाड ने भी राज ठाकरे पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है, 'राज ठाकरे को जिस तरह से बाबा साहेब पुरंदरे (ब्राह्मण चिंतक जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथाएं लिखी हैं और उनके उत्थान में ब्राह्मणों के योगदान को अच्छी तरह से रेखांकित किया है) से आगे का इतिहास पता नहीं है, उसी तरह उन्हें यहां के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संघर्ष के बारे में भी कुछ पता नहीं है। राजनीति में कुछ भी नवनिर्माण किए बिना वे राजनीतिक क्षेत्र में असफल साबित हुए हैं और अपने फायदे के लिए एक बार फिर महाराष्ट्र में इन सारी बातों को उभार कर तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।'

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