कई लोगों की कुंडली में कई प्रकार के दोष होते हैं. ऐसे में कालसर्प दोष होना आज के समय में नार्मल बात है और यह कई लोगों की कुंडली में होता है. ऐसे में कई लोगों की कुंडली में शंखनाद कालसर्प दोष होता है जिसका साया होना बहुत बुरा माना जाता है. जी हां, शंखनाद कालसर्प दोष के प्रभाव से जातक के जीवन में अस्थिरता बनी रहती है और उसे मनचाहा परिणाम कभी नहीं मिल पाता है. तो आज हम आपको बताते हैं क्या हैं यह शंखनाद कालसर्प दोष है?
शंखनाद कालसर्प दोष - कहते हैं जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच बाकी सारे ग्रह बैठे हों तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है और कुंडली के 12 घरों में राहु-केतु की स्थिति के कारण कालसर्प दोष मुख्यत: 12 प्रकार के होते हैंऔर उन्ही में से एक होता है शंखनाद कालसर्प दोष. कहते हैं अगर किसी जन्म कुंडली में राहु जब नवम स्थान में हो और केतु तृतीय स्थान में बैठा हो और उनके बीच सारे ग्रह आ जाएं तो शंखनाद कालसर्प दोष बनता है. नवम स्थान धर्म, भाग्य स्थान होता है इसलिए इस दोष के प्रभाव से सीधे-सीधे व्यक्ति का भाग्य प्रभावित होता है.
जानिए इसके परिणाम - कहते हैं शंखनाद कालसर्प दोष का प्रभाव मुख्यत: किसी जातक पर दो प्रकार से दिखाई देता है. पहला या तो जातक के पास अपने पूर्वजों का संचित धन प्रचुर मात्रा में रहता है या फिर उसके पास कुछ नहीं होता है, लेकिन जिन जातकों के पास पूर्वजों से प्राप्त धन होता है वे उसे संभाल नहीं पाते और उसे गलत कार्यों में नष्ट कर देते हैं. वहीं दूसरा यह होता है कि ऐसे जातक मानसिक रूप से भयंकर अस्थिर होते हैं और कई बार तो इनका मन-मस्तिष्क इतना अधिक विचलित हो जाता है कि ये आत्महत्या तक का प्रयास कर बैठते हैं. वहीं ऐसे जातक कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन फिर भी उनके हाथ कुछ नहीं आता है.
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