नई दिल्ली : काम धर्माचार्य का लेकिन शौक बयानबाजी का। शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरुपानंद सरस्वती ने एक बार फिर से आरक्षण के जरिए डॉ बाबा साहेब अंबेडकर पर हमला बोला है। उनका कहना है कि अंबेडकर ने हिंदू धर्म का परित्याद कर समाज में असमानता को बढ़ावा दिया है।
उन्होने कहा कि यदि अंबेडकर हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म नहीं अपनाते तो वो लोगों के बीच समानता फैलाने में अधिक सफल होते। वो हिंदू धर्म में ही रहकर होली, दिवाली मनाते, गंगा को मानेत, रामायण गीता सुनते तो हिंदुओं के साथ समरस हो सकते थे।
आंबेडकर ने हिन्दू धर्म धर्म छोड़ दिया और होली दिवाली नहीं मनाई, गंगा की निंदा की तो हिन्दू समाज उन्हें कैसे अपने साथ समरस कर लेता। सांई बाबा पर एक बार फिर से हमला बोलते हुए शंकराचार्य ने कहा कि जहां पर लोग सूखे से पीड़ित हो और लोग कर्ज के चलते आत्म हत्या कर रहे है।
वो लोग इतना चढावा कहां से चढ़ाने आ जाएंगे। साथ ही उन्होंने चढ़ावे को लेकर प्रश्न किया है कि जब उनके पास इतना चढ़ावा आ गया है तो वो ये बताएं की सूखा पीड़ितों के लिए वों क्या कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि ये चढ़ावा आपको सूखा पीड़ितों की मदद में लगता नहीं दिखाई पड़ेगा बल्कि ये पैसा साईं रामायण और साईं महाभारत बनाने के लिए लगाया जाएगा।