आज शनि जयंती है और यह पर्व हिंदू कैलेंडर के ज्येष्ठ महीने में अमावस्या को मनाया जाता है. ऐसे में इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है और इस बार नेशनल लॉकडाउन के चलते कोशिश करनी चाहिए कि शनिदेव की पूजा घर रहकर ही करें. आप सभी को बता दें कि शनिदेव दिव्यांग, गरीब और मजदूर वर्ग के स्वामी है इस कारण इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर शनिदेव शनैश्चर क्यों कहलाते हैं.
शनैश्चर - जी दरअसल ज्योतिष ग्रंथों में शनिदेव को न्यायाधीश कहा जाता है यानी ये न्याय दिलाने वाला ग्रह है. वहीँ 9 ग्रहों में शनि का स्थान सातवां है और ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी माने जाते हैं. वहीँ शनै: शनै: यानी धीरे-धीरे चलने के कारण ही इन्हें शनैश्चर कहते हैं. जी हाँ और इसी के कारण ये एक राशि में तीस महीने तक रहते हैं. आप सभी को बता दें कि शनि की महादशा 19 साल तक रहती है और साढ़ेसाती साढ़े 7 सालों तक और शनि की ढय्या ढाई साल तक रहती है.
आप सभी को बता दें कि स्कंदपुराण के काशीखंड की कथा के अनुसार राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा का विवाह सूर्य के साथ हुआ और संज्ञा ने वैवस्वत मनु, यमराज और यमुना को जन्म दिया. वहीँ सूर्य के तेज नहीं कर पाने पर संज्ञा अपनी छाया सूर्य के पास छोड़कर तपस्या करने चली गई और ये सूर्य को पता नहीं थी. उसके बाद छाया और सूर्य की भी 3 संतान हुई, जो कि शनिदेव, मनु और भद्रा (ताप्ती नदी) थी. ऐसे में आप सभी को बता दें कि शनिदेव की 2 पत्नियां मंदा और ज्येष्ठा है.
शनि जयंती पर जरूर जानिए उनके जन्म की कथा