पाए शनि देव की कृपा
पाए शनि देव की कृपा
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शास्त्रों में शनि की प्रसन्नता के लिए धार्मिक कर्मकांड के अलावा बोल, व्यवहार और कर्म से जुड़ी ऐसी बातें भी कारगर बताई गई है, जिनको शनिदेव की बिना पाठ-पूजा या तंत्र-मंत्र कर व्यावहारिक जीवन में अपनाना भी आसान है. यहां तक कि नास्तिक भी इन बातों के कारण शनिदेव कृपा कर सफल व सौभाग्यशाली बना देते हैं.

1- मान्यता है कि शनिदेव जरावस्था या बुढ़ापे के स्वामी है, इसलिए हमेशा माता-पिता, गुरु या बड़ों का सम्मान व सेवा करने वाले पर शनि की अपार कृपा होती है. इसके विपरीत वृद्ध माता-पिता या बुजुर्गों को दु:खी, अपमानित या उपेक्षित करने वाला शनि के कोप से बहुत पीड़ा पाता है. 

2- परोपकार धर्म का अहम अंग है. दूसरों के लिए दया भाव खास तौर पर गरीब व कमजोर को अन्न, धन या वस्त्र दान या शारीरिक रोग व पीड़ा को दूर करने में सहायता शनि की अपार कृपा देने वाला होता है.

3- शनि का स्वरूप विकराल है. वहीं, शनि को कसैले या कड़वे पदार्थ जैसे सरसों का तेल आदि भी प्रिय माना गया है. किंतु इसके पीछे भी सूत्र यही है कि कटुता चाहे वह वचन या व्यवहार की हो, से दूर रहें व दूसरों के ऐसे ही बोल व बर्ताव को द्वेषता में न बदलें यानी सहनशील बनें.

4- शनि का स्वभाव क्रूर माना गया है, किंतु वह बुराइयों को दण्डित करने के लिए है. इसीलिए शनि कृपा पाने व कोप से बचने के लिए क्रोध जैसे विकार से दूर रहना ही उचित माना गया है. 

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