UP में चुनौतियां पूछकर चुटकियों में समाधान दे गए अम‍ित शाह
UP में चुनौतियां पूछकर चुटकियों में समाधान दे गए अम‍ित शाह
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लखनऊ: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों की 'एक्सरे रिपोर्ट' साथ लेकर आए थे। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ पदधिकारियों के साथ बैठक की और चुनाव सह-प्रभारियों से क्षेत्रवार परेशानी पूछते हुए उन्होंने हाथों-हाथ समाधान भी दे दिए। जी हाँ, इसी के साथ उन्होंने किसानों के प्रभाव वाले पश्चिम सहित हर क्षेत्र के लिए अलग रणनीति समझाई। इस दौरान सबसे अहम तो यह रहा कि अमित शाह ने विपक्ष की नब्ज भी टटोल ली है। उन्होंने मंदिर-मंदिर माथा टेकते विपक्षी नेताओं का जिक्र कर कहा 'विपक्ष खुद ही हि‍ंदुत्व की भगवा पिच पर आ खड़ा हुआ है। भाजपा के पास राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और सीएए हैं, अब उन्हीं पर खिलाइए।'

आप सभी को बता दें कि प्रदेश में लगातार हर चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर रही भाजपा विधान सभा चुनाव- 2022 की तैयारियों में कई महीनों से लगी है। ऐसे में प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सि‍ंह के बाद सात सह प्रभारियों की टीम के साथ चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सि‍ंह के सहयोग के लिए आ चुके हैं। हालाँकि चुनाव नजदीक आते ही अमित शाह खुद चुनावी रणनीति थामने के लिए आगे आ गए।

आपको बता दें कि अमित शाह बीते शुक्रवार को लखनऊ आए थे तो बंद कमरे में वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ खुलकर बात की। इस बैठक में मौजूद सूत्रों ने बताया कि गृहमंत्री ने बारी-बारी से सभी चुनाव सह प्रभारियों से क्षेत्रवार माहौल, चुनौतियां आदि पूछीं। जैसे कि वह पहले से सबके लिए पर्ची बनाकर लाए थे। जैसे ही पदाधिकारी स्थानीय चुनौती बताते, वह उसका तुरंत समाधान और जीत की रणनीति समझा देते। इस दौरान उन्होंने हर क्षेत्र के लिए अलग रणनीति बताई और कहा कि सह प्रभारी अपने क्षेत्र पर नजर रखें। इसी के साथ उन्होंने कहा अधिक से अधिक प्रवास करें और कमजोर सीटों को चिन्हित कर रिपोर्ट दें।

इसी के साथ पश्चिम में कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर चर्चा हुई तो सामने आया कि इसका प्रभाव बहुत सीमित है। इस पर अमित शाह ने समझाया कि हालात स्थिर ही रखें। जो हमारा पुराना वोटर है, उस पर पकड़ बनाए रखें तो कोई मुश्किल नहीं होगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि चुनौती 2014 के लोकसभा चुनाव में भी थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में कठिनाइयां थीं। फिर 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन की चुनौती सबसे बड़ी थी, फिर भी हर बार भाजपा जीती। अब कोई नई परिस्थिति ऐसी नहीं हो सकती, जो जीत में बाधा बने।

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