अलगाववादियों ने कश्मीर पर चर्चा की सरकार की पेशकश ठुकराई
अलगाववादियों ने कश्मीर पर चर्चा की सरकार की पेशकश ठुकराई
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श्रीनगर : केंद्र सरकार ने राज्य में सक्रिय अलगाववादियों से चर्चा करने की पेशकश की है। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि यह चर्चा संविधान के दायरे में रहकर की जाए तो बेहतर है। हुर्रियत काॅन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी द्वारा यह बात भी कही गई है कि कश्मीर मसले के समाधान की असल बात पर गौर करने में वह सहायता नहीं करती है। यह चर्चा बेकार साबित हो सकती है। 

गिलानी द्वारा अपने आवास पर सरकार की पेशकश का विरोध करते हुए कहा गया कि कश्मीर के विवाद को कश्मीर की जनता की आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षा के अनुसार ही सम्मान देना होगा। यदि जनता की इच्छा को ध्यान में नहीं रखा गया तो फिर इस मसले पर चर्चा का कोई अर्थ नहीं रहेगा। इस तरह का संवाद बेकार ही साबित होगा। इस चर्चा को कोई ठोस आधार मिलता नहीं दिख रहा है।

उल्लेखनीय है कि हुर्रियत पाकिस्तान और भारत की चर्चा होने और कश्मीर मसले पर पाकिस्तान द्वारा चर्चा किए जाने के मामले में खुद को भी भागीदार बनाने की मांग करता आया है। जबकि सरकार का यह कहना है कि पाकिस्तान पहले आतंकवाद की गतिविधियों को विराम दे इसके बाद ही वह किसी और मसले पर चर्चा करेगा।

यही नहीं पाकिस्तान द्वारा हर बार कश्मीर पर अधिकार जताने के लिए बातचीत के बाद भी सीमा पार से फायरिंग और छद्म युद्ध को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में यह बात भी सामने आई है कि अलगाववादी कश्मीर मसले को जनता के समर्थन से सुलझाने की बात करते आ रहे हैं। हालांकि अलगाववादी पाकिस्तान के पक्ष में ही बातें करते आ रहे हैं। कई बार अलगाववादियों द्वारा पाकिस्तान के झंडे तक राज्य में फहराए गए हैं। 

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