सेल्फी मामले के बाद भी नहीं होता पर्याप्त आपदा प्रबंधन
सेल्फी मामले के बाद भी नहीं होता पर्याप्त आपदा प्रबंधन
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मुंबई: मुंबई में सेल्फी लेने के चक्कर में कुछ युवाओं ने अपनी जान गंवा दी। तो फिर मुंबई के समुद्री किनारों पर लोग डूब गए। यही नहीं देश के कई पिकनिक स्पाॅट ऐसे हैं जहां लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। ऐसे में आपदा प्रबंधन के पर्याप्त इंतजामों की कमी खलती है। न तो सेल्फी मामले के बाद मुंबई में विभिन्न स्थानों पर गार्ड तैनात किए गए और न ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन दुरूस्त नज़र आया। हालांकि फिलहाल बारिश का दौर नहीं है लेकिन इसके बावजूद पर्यटक स्थलों की सुरक्षा करना बेहद आवश्यक है।

इन स्पाॅट्स के आसपास न तो किसी तरह के सूचना संकेतक लगाए गए हैं और न ही लाईफ सेविंग इंतज़ाम किए गए हैं। यदि समुद्र में कोई डूबता है तो उस व्यक्ति तक मदद पहुंचाने में ही काफी विलंब लग जाता है। ऐसे में उसकी जान पर बन आती है। यही नहीं उस व्यक्ति को चिकित्सकीय सुविधा भी सही समय पर नहीं मिल पाती जिसे लेकर भी कई बार चर्चाऐं चलती रही हैं।

दूसरी ओर ऐसे स्थानों पर पुलिस और लाईफ बोट की कमी भी लोगों को खलती रही है। होमगार्ड जवान कुछ स्थानों पर तैनात रहते हैं लेकिन ऐसे स्थानों पर उनका अभाव लोगों को खलता है जहां पर डूबने की घटनाऐं अधिक होती हैं। इस तरह की घटनाओं को लेकर लोगों में भी जागरूकता का अभाव है। हालांकि सेल्फी मामले के बाद लोग कुछ सावधान हो गए मगर प्रशासन द्वारा अभी भी ऐसे स्थानों पर पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। इस मामले में लोगों द्वारा सवाल उठाए गए हैं कि आखिर जिम्मेदार और वे नेता जो एक दलित छात्र हत्या पर व्यर्थ की राजनीति कर रहे हैं। आखिर आपदा प्रबंधन को लेकर अपने बयान क्यों नहीं देते। 

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