भारत में सेक्स चेंज के मामले में पुरुष महिलाओं से तीन गुना आगे
भारत में सेक्स चेंज के मामले में पुरुष महिलाओं से तीन गुना आगे
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मुंबई: लिंग परिवर्तन (सेक्स चेंज) के बढ़ते रुझान के बीच ऑपरेशनों की बढ़ती संख्या पर गौर करने पर एक चौकाने वाले सच का सामना होता है जिसके अनुसार अपना लिंग परिवर्तन करके स्त्री बनने के लिए आने वाले मरीजों की संख्या पुरुष बनने के लिए ऑपरेशन करवाने वालों से तीन गुना ज्यादा है. रिपोर्ट मुंबई के केवल एक अस्पताल से है जो पुरुष के स्त्री बनने की बढ़ती चाहत को भी रेखांकित करता है. बता दें कि बीड की महिला कॉन्स्टेबल ललिता साल्वे लिंग परिवर्तन के लिए मुंबई से सेंट जॉर्ज अस्पताल में भर्ती हैं. सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के अनुसार, करीब 7 सालों में अकेले सायन अस्पताल में 28 लोग लिंग-परिवर्तन सर्जरी करा चुके हैं. आरटीआई जवाब के अनुसार, बीएमसी संचालित सायन अस्पताल में हुईं कुल 28 'सेक्स चेंज सर्जरी' में से 21 सर्जरी पुरुष से महिला बनने की की गईं, जबकि 7 सर्जरी महिला से पुरुष बनने के लिए हुईं. यानी लिंग परिवर्तन करके स्त्री बनने वाले वाले मरीजों की संख्या पुरुष बनने के लिए सर्जरी कराने वालों से तीन गुना ज्यादा है. 

विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ लोगों में 'जेंडर आइडेंटिटी डिसऑर्डर' की समस्या होती है. इसके तहत उनकी शारीरिक बनावट तो महिला या पुरुष की तरह होती है, हालांकि उनके जीने के तरीके और पहनावे ठीक उसके विपरीत होते हैं. ऐसे में उपरोक्त लोगों को लिंग परिवर्तन सर्जरी की जरूरत पड़ती है. डॉ. शाह के मुताबिक शुरुआती दिनों में लोगों में जागरूकता की कमी और सामाजिक ताने-बाने के चलते लोग सामने नहीं आते थे. धीरे-धीरे समय के साथ वह इस समस्या के निवारण के लिए सर्जरी के लिए आगे आते हैं. जे.जे. अस्पताल के प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक आनंद ने बताया कि ऐसे लोगों में सामान्य तरीके से गर्भाधान नहीं हो पाता. गर्भाधान के लिए वैकल्पिक माध्यमों का सहारा लेना पड़ता है. 

आरटीआई कार्यकर्ता चेतन कोठारी ने बताया कि लिंग परिवर्तन को लेकर हुई सर्जरी के आंकड़ों के लिए उन्होंने बीएमसी के केईएम, सायन और नायर अस्पताल में आरटीआई भेजी थी. अस्पताल के मनोरोग विभाग के विभागध्यक्ष डॉ. नीलेश शाह ने बताया कि यह एक तरह की बीमारी है, जिसे आइडेंटिटी डिसऑर्डर डिस्फोरिया कहते हैं. इसके शिकार मरीजों को उनके लिंग (जन्म से) के विपरीत उनकी सोच और पहनावा होता है. उदाहारणस्वरूप अगर इस समस्या से कोई पुरुष परेशान है तो भले ही उसकी शारीरिक संरचना पुरुषों जैसी हो, मगर उसे लड़कियों की तरह जीने में अच्छा लगता है. इसी तरह अगर वह महिला है, तो वह पुरुषों की तरह रहना चाहती है.

 

 

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