भारत-विरोधी तत्वों पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है 'देशद्रोह' कानून - विधि आयोग ने की बरक़रार रखने की सिफारिश
भारत-विरोधी तत्वों पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है 'देशद्रोह' कानून - विधि आयोग ने की बरक़रार रखने की सिफारिश
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नई दिल्ली: विधि आयोग (Law Commission) ने देशद्रोह कानून की धारा 124A को बरक़रार रखने की अनुशंसा की है। आयोग ने अग्रेंजों द्वारा बनाए 153 वर्ष पुराने इस कानून को बनाए रखने की सिफारिश करते हुए कहा है कि अगर इसे हटाया गया, तो इसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं। ऐसा करना देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए चिंताजनक हो सकता है। हालांकि विधि आयोग ने इस कानून में कुछ संशोधन करने की सिफारिश अवश्य की है, ताकि इसे लगाए जाने की स्थिति, व्याख्या और अन्य चीजों के संबंध में स्पष्ट समझ विकसित हो सके। 

कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी के नेतृत्व वाले विधि आयोग ने कहा कि सेक्शन 124A में संशोधन किया जाना चाहिए। इसे लेकर हमें सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केदारनाथ मामले में दिए गए 1962 के फैसले को ध्यान में रखना होगा। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फ्री स्पीच से लोगों को रोकने के लिए इसका उपयोग नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा लगता है कि किसी व्यक्ति की ऐसी आदत है, जो हिंसा भड़का सकता है, तो फिर उसके खिलाफ ऐसी कार्रवाई एहतियात के रूप में की जा सकती है। 

विधि आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि देशद्रोह कानून के तहत तीन वर्ष से लेकर अधिकतम आजीवन कारावास की सजा तक का प्रावधान है। इसमें संशोधन किया जा सकता है और सजा को 7 वर्ष तक कर सकते हैं। IPC की धारा 124A के तहत आरोपी को गैर-जमानती वॉरंट के साथ गिरफ्तार किया जा सकता है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर 3 वर्ष से लेकर अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। हालांकि इस कानून को लेकर अकसर ऐक्टिविस्ट्स से लेकर कानून के विशेषज्ञ तक सवाल खड़े करते रहे हैं। 

विधि आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि देशद्रोह कानून के माध्यम से भारत-विरोधी तत्वों और उपद्रवी लोगों पर नियंत्रण करने में सहायता मिलती है। आयोग ने कहा कि अगर देशद्रोह कानून नहीं होगा, तो फिर सरकार के खिलाफ हिंसा भड़काने के मामलों में विभिन्न कानूनों के तहत कार्रवाई होगी। उन कानूनों के खिलाफ तो और भी सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरे कई देशों ने सेक्शन 124A हटा दिया है। इसलिए हम भी ऐसा नहीं कर सकते। भारत की स्थितियां अलग हैं और हमें उस वास्तविकता को समझना होगा।

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