सेबी ने मल्टीकैप फंड को लेकर लागू किए नए नियम
सेबी ने मल्टीकैप फंड को लेकर लागू किए नए नियम
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कैपिटल मार्केट नियामक सेबी ने मल्टीकैप फंड्स से कहा है कि उन्हें लार्ज, मिड तथा स्मॉलकैप, हर सेग्मेंट में अपने इन्वेस्टमेंट का कम-से-कम 25 फीसद भाग रखना होगा। इससे स्मॉलकैप सेग्मेंट को निश्चित तौर पर लाभ होगा, क्योंकि उनमें इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा। किन्तु इससे इन्वेस्टर्स की उस आशा की रक्षा में बड़ी कठिनाई आएगी कि इन्वेस्टमेंट पर उन्हें भरपूर रिटर्न प्राप्त हो। 

सेबी ने एक नया नियम बनाया है। इस नियम के कारण मल्टीकैप फंड को इन्वेस्टर्स की राशि का एक बड़ा भाग स्मॉलकैप मतलब छोटी तथा मिडकैप मतलब मझोले लेवल की कंपनियों में लगाना होगा। कंपनियों को अगले साल 31 जनवरी तक मल्टीकैप फंड को अपनी कम-से-कम 25 फीसद संपत्ति लार्ज, मिड तथा स्मॉलकैप स्टॉक्स में रखने की प्रक्रिया पूरी कर लेनी होगी। सेबी का मानना है कि इस प्रकार से ये फंड सही मायने में मल्टीकैप फंड होंगे। नियामक के अनुसार, एक मल्टीकैप फंड में सभी आकार की कंपनियों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। 

हालांकि यदि लार्ज, मिड तथा स्मॉलकैप फंड की परिभाषा पर ध्यान दे तो पाएंगे कि 25 फीसद की यह सीमा मल्टीकैप फंड में मिड तथा स्मॉलकैप का आवश्यकता से अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करेगी। यदि आप इक्विटी मार्केट में सेबी की ही परिभाषा निर्धारित करते हैं तो 74.1 फीसद बाजार वैल्यू लार्जकैप में, 15.6 फीसद मिडकैप में तथा शेष 11.3 फीसद स्मॉलकैप में है। यदि सही मायनों में मल्टीकैप फंड हो तथा यह इक्विटी बाजार का ठीक से प्रतिनिधित्व भी कर रहा हो तो कोई भी लिमिट इसी वैल्यू के आसपास होनी चाहिए। इसके साथ ही कई बदलाव हो सकते है।

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