तीन प्रस्तावों पर फंसा पेंच, आज समाप्त हो सकता है किसान अंदोलन
तीन प्रस्तावों पर फंसा पेंच, आज समाप्त हो सकता है किसान अंदोलन
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नई दिल्ली: दिल्ली की सीमा पर 1 वर्ष से  प्रदर्शन कर रहे किसानों और गवर्नमेंट के मध्य जल्द समझौते की उम्मीद दिखाई दे रही है। मंगलवार को गृह मंत्रालय से 6 सूत्रीय प्रस्ताव लेकर आए प्रतिनिधिमंडल और को संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों  के साथ मीटिंग हुई। इन प्रस्तावों में से 3 पर किसान नेता सहमत नहीं है। उन्होंने गवर्नमेंट से जवाब मांगा है। वहीं आज (बुधवार) दोपहर 2 बजे मोर्चा की बैठक में आगे का निर्णय लिया जाएगा। अब आंदोलन का समाधान केंद्र के जवाब पर निर्भर है। किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि अधिकांश किसान संगठनों में सहमति है और गवर्नमेंट ने हमारी अधिकांश मांगें मान चुके हैं। निर्णय का आधिकारिक एलान बुधवार की बैठक के उपरांत होने वाला है। एसकेएम से जुड़े एक अन्य किसान नेता भी कहा कि बुधवार को आंदोलन समाप्त होने का अनुमान भी लगाया जा रहा है।

किसान संगठनों की बाकी बची मांगों को भी सेंट्रल गवर्नमेंट ने मंगलवार को मंज़ूर कर लिया है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय का प्रस्ताव प्राप्त होने के उपरांत SKM ने कुंडली बार्डर पर बैठक की और मांगें मान लिए जाने पर खुशी व्यक्त की है। हालांकि गवर्नमेंट के प्रस्ताव में कुछ खामियां भी बताईं है। खासतौर पर MSP पर प्रस्तावित समिति में शामिल होने वाले सदस्यों को लेकर उन्हें आपत्ति है।

सरकार से चाहिए जवाब: SKM के वरिष्ठ नेता बलबीर सिह राजेवाल ने बोला है कि एमएसपी पर पहले पीएम मोदी ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने भी एक समिति बनाने का एलान किया है। जिसमे सेंट्रल गवर्नमेंट, स्टेट गवर्नमेंट, किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि विज्ञानियों के शामिल होने की बात भी बोली गई है। मोर्चा चाहता है कि समिति में शामिल लोगों के नाम स्पष्ट कर दिए जाएं। ऐसे लोग समिति में नहीं होने चाहिए, जो गवर्नमेंट के साथ कानून बनाने में भी मौजूद थे। उन्होंने  बोला है कि  'उम्मीद है कि बुधवार तक गवर्नमेंट की ओर से इसे स्पष्ट किया जाने वाला है।' विद्युत संशोधन विधेयक पर भी किसान संगठन अब भी मानाने के लिए तैयार नहीं है। यह विधेयक राज्य बिजली नियामक आयोग की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय चयन समिति का प्रस्ताव भी रखा जाने वाला है। पराली से संबंधित कानून की धारा-15 पर भी किसानों को आपत्ति है। किसान नेता अशोक धावले ने बोला है कि मुकदमा वापसी के लिए कोई समय-सीमा का होना जरुरी है। वहीं गुरनाम चढ़ूनी ने बोला है कि किसानों को संदेह है कि सरकार कहीं बात से पलट न जाए। जबकि शिवकुमार कक्का ने कहा कि हम केंद्रीय गृह मंत्रालय के लेटर हेड पर पत्र चाहते हैं। जिस पर होम मिनिस्टर अमित शाह के हस्ताक्षर भी हों।

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