जानिए ग्रहण के पीछे का वैज्ञानिक कारण
जानिए ग्रहण के पीछे का वैज्ञानिक कारण
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नई दिल्ली: पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है. जब पृथ्वी चंद्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है तो चंद्रमा पृथ्वी की छाया में छिप जाता है और दिखाई नहीं देता. ऐसे में जब हम चंद्रमा को देखने की कोशिश करते हैं तो वह दिखाई नहीं देता या फिर काला दिखाई देता है. इसी स्थिति को ज्योतिष में च्रद्रग्रहण कहा गया है.

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वैज्ञानिक तर्क से पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि अब तक विज्ञान में कहीं भी यह बात सिद्ध नहीं हुई है कि सूर्य या चंद्र ग्रहण गर्भवती महिला को कोई हानि पहुंचाते हैं. ग्रहण के वक्त चाकू, कैंची आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिये, अन्यथा बच्चे के होठ कट जाते हैं. ग्रहण के वक्त सुई का प्रयोग करने से होने वाले बच्चे के हृदय में छिद्र हो जाता है. ग्रहण को नंगी आंखों से देखने से गर्भ में पल रहे बच्चे की आंखों पर असर पड़ता है. अब इन सब बातों के ऊपर से पर्दा उठाते है.

-ग्रहण के वक्त प्रकाश की किरणों में विवर्तन होता है. इस कारण कई हजार सूक्ष्म जीवणु मरते हैं और कई हजार पैदा होते हैं. इसलिये पानी दूष‍ित हो सकता है. 

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-नग्न आंखों से ग्रहण नहीं देखना चाहिये. जी हां प्रकाश की किरणों में होने वाले विवर्तन का प्रभाव आंखों पर पड़ सकता है. गर्भवती की आंखे अच्छी रहनी चाहिये. इस लिए उसे घर के अंदर ही रहना चाहिए. 

- ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा पड़ती है. मंत्रों के उच्चारण में उठने वाली तरंगें घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती हैं.

-ग्रहण के वक्त दान पुण्य करना चाहिये. इससे घर में समृद्ध‍ि आती है. कोइ भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिये और नया कार्य शुरु नहीं करना चाहिये.

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