पंचांग की खासियत से विज्ञान भी भलीभांति परिचित है
पंचांग की खासियत से विज्ञान भी भलीभांति परिचित है
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हिन्दु धर्म में पंचांग युगों से वैदिक ज्योतिष का प्रचलन है जिसके द्वारा हिन्दु पूर्वज किसी भी दिन के शुभ तथा अशुभ कालों की गणना करते थे और यही पद्धति आज भी भारत के अतिरिक्त विश्व के कई हिस्सों में अपनाई जाती है। पंचांग का अर्थ है पंचअंग अर्थात पांच अंग। पंचांग के द्वारा चन्द्र मास की गणना की जाती है जो कि 7 दिनों के 4 सप्ताहों में विभाजित है और आगे चलकर इसी से हमें ग्रहों एवं नक्षत्रों के गुप्त मार्गों की जानकारी मिलती है। चन्द्र मास पर आधारित यही गणना ज्योतिषियों को आपके भविष्य के विषय में सही गणना करने में सहायता करती है।

जानें पंचांग के पांच प्रकार के पहलु

दिन (वार) अर्थात सूर्य दिवस, तिथि अर्थात चन्द्र दिवस, नक्षत्र अर्थात तारा-मंडल या तारों का समूह, योग एवं कर्ण। पंचांग की गणना आपको किसी भी दिन के शुभ एवं अशुभ काल अथवा मुहूर्त की जानकारी देती है। पंचांग के द्वारा आप जान सकते हैं कि आपके लिए यात्रा, प्रेम, समारोह आयोजन, साक्षात्कार, निवेश, उदघाटन, नींव रखना आदि कार्य करना किस समय अतिशुभ होंगे। इस प्रकार के शुभ मुहूर्तों के समय की गणना के लिए सप्ताह के वार, तिथि, नक्षत्र, दिन के योग, दिन के कर्ण आदि के समाप्ति के समय को ध्यान में रखा जाता है, योंकि पंचांग हिन्दुओं को काल अथवा समय के धार्मिक एवं आध्यात्मिक पक्षों के आधार पर कार्य आरम्भ करने की जानकारी देता है इसीलिए हिन्दुओं द्वारा पंचांग को ईश्वर तथा धर्म की ओर ले जाने वाला एक वैज्ञानिक मार्गदर्शक भी माना जाता है। 

 

 

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