'केवल जान-पहचान वालों को ही जज बनाता है कोलेजियम..', न्यायपालिका में कहाँ हो रही चूक ?
'केवल जान-पहचान वालों को ही जज बनाता है कोलेजियम..', न्यायपालिका में कहाँ हो रही चूक ?
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह ने सोमवार (15 अगस्त) को  कहा कि 43 फीसद लॉ मेकर सांसदों की क्रिमिनल हिस्ट्री रही है और देश को ऐसे लोगों को निर्वाचित होने से रोकने के लिए कानून बनाकर सुधार करने की आवश्यकता है। वहीं उन्होंने कॉलेजीएम द्वारा जजों की नियुक्ति पर भी सवाल खड़े किए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विकास सिंह ने भारत की आजादी की 75वीं वर्षगाँठ पर शीर्ष अदालत में एक समारोह को संबोधित करते हुए कॉलेजियम से निचली न्यायपालिका से लोगों को सुप्रीम कोर्ट में ‘केवल वरिष्ठता के बजाय उनके द्वारा किए गए केसों के जजमेंट के आधार पर’ उठाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि न्याय प्रदान करने के संबंध में ये दो क्षेत्र थे – कानून निर्माता और जजों की नियुक्ति – जहाँ गंभीर सुधार और गंभीर आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी।

उन्होंने आगे कहा कि, 'आज 75 वर्ष बाद यदि हम देखते हैं कि हमारे 43 फीसदी सांसदों की क्रिमिनल हिस्ट्री है, तो मुझे लगता है कि हमें सुधार की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि हमें (कानून) में संशोधन करने की जरूरत है, क्योंकि कोई भी व्यक्तिगत सियासी दल यह सुनिश्चित करने की पहल नहीं कर सकता है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों का चुनाव न हो। क्योंकि यदि कोई पार्टी जीतने वाले को टिकट नहीं देती है, तो दूसरी पार्टी उसे टिकट देगी। बता दें कि भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन वी रमना इस कार्यक्रम के चीफ गेस्ट थे, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में तिरंगा फहराया। इसी समारोह में SCBA अध्यक्ष विकास सिंह ने वहाँ मौजूद कानून मंत्री किरेन रिजिजू से भी अनुरोध किया कि वे इस पर गंभीरता से विचार करें।

उन्होंने कहा कि, 'अगर कोई कानून है, अगर समान अवसर है, तो निश्चित तौर पर हम एक बेहतर संसद, बेहतर कानून बनाने और कानून बनाने पर अधिक स्पष्ट चर्चा करने में सक्षम होंगे। यदि कानून बनाने में सुधार होता है तो न्याय प्रदान करने से अंततः लाभ होगा।' जजों की नियुक्ति को लेकर, विकास सिंह ने दावा करते हुए कहा कि, 'कॉलेजियम के सदस्य, विशेष रूप से उच्च न्यायालयों में, उन न्यायाधीशों को ऊपर उठाने में ज्यादा रुचि रखते हैं जिन्हें वे जानते हैं, बजाय इसके कि वे सर्वश्रेष्ठ नाम खोजने का प्रयास करें।'

विकास सिंह ने कहा कि SCBA अध्यक्ष के तौर पर सर्वोच्च न्यायालय के वकीलों को बेंच में पदोन्नत करने की उनकी कोशिशों को ठुकरा दिया गया। क्योंकि अच्छे नामों में किसी की रुचि नहीं है।' यही वह जगह है जहाँ भ्रम की स्थिति है। कभी-कभी हमारे पास SC (बार) का एक शख्स ऊँचा हो जाता है, किन्तु यह तभी होता है जब यहाँ कॉलेजियम के सदस्यों में से एक अपनी उम्मीदवारी को आगे बढ़ाने का प्रयास करता है, और यह बिल्कुल भी स्वस्थ बात नहीं है।' उन्होंने आगे कहा कि, 'यहाँ तक ​​​​कि जब आप निचली न्यायपालिका से लोगों को ऊपर उठाते हैं, तो यह सिर्फ वरिष्ठता की जगह उनके द्वारा किए गए मामलों के जजमेंट के आधार पर होना चाहिए।'

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