महादलित बस्ती को आग लगाने वाली भीड़ में 'रोहिंग्या' भी शामिल ? जांच करेगी SC/ST आयोग की टीम
महादलित बस्ती को आग लगाने वाली भीड़ में 'रोहिंग्या' भी शामिल ? जांच करेगी SC/ST आयोग की टीम
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पटना: बिहार के पूर्णिया जिले में रिजवी, शाकिद और इलियास ने अपने गुर्गों के साथ एक महादलित बस्ती में जमकर उत्पात मचाया, कई घरों में आग लगा दी। साथ ही एक रिटायर्ड चौकीदार की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। अब ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है। बायसी थाना के अंतर्गत आने वाले मझुआ गाँव में 19-20, 2021 की रात को हुई इस घटना की छानबीन करने के लिए अनुसूचित जाति आयोग एक एक टीम घटना की जाँच के लिए पहुँची है। इस घटना में 150 से भी ज्यादा की भीड़ ने महादलित बस्ती में एक दर्जन से भी अधिक घरों को आग के हवाले कर दिया। अनुसूचित जाति आयोग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के नेतृत्व में पहुँची टीम ने दोषियों की त्वरित गिरफ़्तारी की माँग की है। 

बता दें कि भूमि को लेकर 2015 में भी वहाँ इसी प्रकार की हिंसाक वारदात हुई थी, किन्तु इसके बाद लगे पुलिस कैम्प को 2018 में हटा दिया गया था। इस साल अप्रैल 24 को भी एक घर को आग लगा दी गई थी और महादलितों की पिटाई की गई थी। पीड़ितों का कहना है कि FIR के बाद भी पुलिस की निष्क्रियता की वजह से मुस्लिमों ने आज इस घटना को अंजाम दिया है। SC-ST आयोग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और बनमनखी से MLA विधायक कृष्ण कुमार ऋषि, भाजपा MLC दिलीप जायसवाल और AIMIM के बायसी से MLA सैय्यद रुकनुद्दीन ने मौके पर पहुँच कर पीड़ितों से मुलाकात की। कृष्ण कुमार ऋषि ने कहा कि, “यह बहुत दुःखद, अमानवीय और क्रूर वारदात है। प्रशासन ने अभी तक महज 2 लोगों को अरेस्ट कर खानापूर्ति की है। जबकि इस मामले में दो अलग-अलग प्राथमिकियों में 60 नामजद और 100 अज्ञात आरोपित हैं।”

बिहार के पूर्णिया में ‘इस्लामिक जिहादियों’ द्वारा हिंसक हमले पर चिंता जताते हुए विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने पीड़ित महादलित परिवारों को जल्द इन्साफ दिलाने की माँग की है। उन्होंने घटना की जानकारी देते हुए कहा कि गर्भवती महिला का सिर फोड़ दिया गया, अन्य बहन-बेटियों, बच्चों व बुजुर्गों तक पर अमानवीय अत्याचार और धारदार हथियारों से हमले किए। VHP ने आशंका जताई है कि इन हमलावरों में बांग्लादेशी व रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठिए भी शामिल थे। संगठन ने कहा कि घटना के तीन दिन गुजर जाने पर भी ना तो अपराधी पकड़े गए हैं और ना ही पीड़ितों की सुरक्षा, मदद या पुनर्वास के विषय में कुछ किया गया है।

 

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