हैदराबाद: तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने राज्य में अपना पहला बजती पेश किया है, जिस पर कुछ विवाद उठ खड़े हुए हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री भट्टी विक्रमार्क ने विधानसभा में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 2.91 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया। इसमें कांग्रेस सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के बजट में बढ़ोतरी की है, जबकि SC-ST विभागों के लिए फंडिंग घटा दी है। कांग्रेस पार्टी के चुनावी वादों और सरकार बनने के बाद की कार्रवाइयों पर सोशल मीडिया में मिम्स भी बने हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को 3,003 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो पिछले वर्ष बीआरएस सरकार द्वारा आवंटित 2,200 करोड़ रुपये से काफी अधिक है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि, कांग्रेस सरकार ने जहाँ अल्पसंख्यक कल्याण के लिए बजट में भारी इजाफा किया है, वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण के लिए धन में जबरदस्त कटौती की है। SC/ST का फंड 21,072 करोड़ रुपये से घटाकर 7,638 करोड़ रुपये कर दिया है। वहीं, आदिवासी कल्याण विभाग के बजट को 4,365 करोड़ रुपये से घटाकर 3,969 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
तेलंगाना सरकार ने SC-ST कल्याण के फंड पर चलाई कैंची।
— Prashant Umrao (@ippatel) July 26, 2024
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का बजट 36% बढ़ाया और SC ST के कल्याण के लिए बजट में पैसे किए कम। pic.twitter.com/jNWGsuAELX
वित्त मंत्री ने बजट में यह भी कहा है कि सरकार ने इस साल रमज़ान के जश्न के लिए 33 करोड़ रुपये और आशूर खानों की मरम्मत और रखरखाव के लिए 50 लाख रुपये देने का ऐलान किया है। इसके अलावा, जनवरी 2024 में तब्लीगी जमात की बैठक के लिए 2.4 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं और हज यात्रियों के लिए 4.43 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि तेलंगाना में अल्पसंख्यक आबादी लगभग 14 प्रतिशत, जो करीब 50 लाख बैठती हैं।
अक्सर चुनावों के दौरान दलित, वंचित, OBC का नारा देने अली कांग्रेस ने सरकार बनते ही एससी-एसटी कल्याण बजट में कटौती करके अपनी प्रतिबद्धता को पलट दिया है। दलितों और आदिवासियों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित करने और इन समुदायों से पर्याप्त समर्थन प्राप्त करने के अपने लगातार दावों के बावजूद, पार्टी ने इन समूहों के लिए धन कम कर दिया है। बजट प्राथमिकताओं में यह बदलाव बताता है कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी कांग्रेस के लिए मुस्लिम वोट बैंक को मजबूत करने में लगे हुए हैं।
यहाँ भी केवल भाजपा ने ही हिन्दुओं के आदिवासी-दलित समुदाय के लिए आवाज़ उठाई है और राज्य सरकार के बजट का विरोध करते हुए इसे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण करार दिया है। तेलंगाना भाजपा प्रवक्ता के कृष्ण सागर राव ने वित्तीय कठिनाइयों के बीच अल्पसंख्यक तुष्टीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राज्य की निंदा की। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने भी रमजान समारोह के लिए 33 करोड़ रुपये आवंटित करने के निर्णय की आलोचना की और तर्क दिया कि सरकार ने रमजान के लिए धनराशि स्वीकृत की है, लेकिन हिंदू त्योहारों के लिए कोई मदद नहीं है।
चुनाव के समय राहुल गांधी आदिवासियों का मसीहा बनकर घूम रहा था चुनाव बाद उनका ही बजट घटा दिया तेलंगाना में ???? pic.twitter.com/3UmiZU2uVe
— Mohit Babu ???????? (@Mohit_ksr) July 25, 2024
संजय बांदी ने आगे कहा कि, "यह अपमानजनक है कि विकाराबाद जिले के परिगी मंडल में जनवरी में इस्लामिक समाज के नाम पर तबलीगी जमात संगठन द्वारा आयोजित बैठक की व्यवस्था के लिए 2.45 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मंजूर की गई है।" उन्होने सवाल किया कि "क्या रेवंत रेड्डी की नवनिर्वाचित सरकार को यह पता है? खुफिया एजेंसियाँ क्या कर रही हैं? टुकड़े-टुकड़े गैंग के ज़रिए आप तेलंगाना का क्या करना चाहते हैं? कांग्रेस सरकार दावा करती है कि राज्य दिवालिया हो गया है, लेकिन वह तबलीगी जमात द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को फ़ंड कर रही है, जो आतंकवाद और कट्टर इस्लाम के प्रसार को बढ़ावा देता है।"
2020 में देश में कोरोना वायरस फैलने के लिए संगठन को मुख्य कारण बताते हुए कुमार ने कहा, "इस संगठन का तेलंगाना में सभाओं और बैठकों के नाम पर प्रवेश कई संदेह पैदा कर रहा है, वह भी ऐसे समय में जब भारत में कोरोना वायरस फिर से फैल रहा है।" उन्होंने पूछा, "चरमपंथी विचारधाराओं को फैलाने और जबरन धर्म परिवर्तन में शामिल संगठन को सरकार द्वारा धन मुहैया कराने के पीछे मास्टरमाइंड कौन है?"
कर्नाटक में भी यही खेल :-
बता दें कि, SC/ST फंड में से पैसे निकालकर अल्पसंख्यकों की पुष्टि करने का ये खेल सिर्फ तेलंगाना में ही नहीं बल्कि कर्नाटक में भी चल रहा है। कर्नाटक में कांग्रेस चुनावी गारंटियों के जरिए सत्ता में तो आ गई थी, लेकिन अब उसके पास विकास करने के लिए और उन गारंटियों को पूरा करने के लिए धन नहीं बचा है। ये बात खुद राज्य सरकार के वित्तीय सलाहकार स्वीकार कर चुके हैं। इसके बाद कांग्रेस ने SC/ST फंड से 14000 करोड़ निकाले हैं। और कमाया बढ़ाने के लिए पेट्र्रोल-डीजल पर 3 रुपए समेत नंदिनी दूध, बिजली दरें और इंजीनियरिंग की फीस में भी इजाफा कर दिया है। वहीं, दूसरी तरफ यही कांग्रेस सरकार अल्पसंख्यकों के लिए एक योजना चला रही है। जिसमे वो उन्हें मात्र 80 हज़ार रूपए में चार पहिया वाहन दिलवा रही है, जिसमे से आधा पैसा राज्य सरकार देगी और बाकी आधे के लिए कर्ज भी सरकार ही दिलवाएगी। कर्नाटक सरकार के बजट में भी ईसाई समुदाय के लिए 200 करोड़ और वक्फ बोर्ड के लिए 100 करोड़ का प्रावधान किया गया है। जबकि कांग्रेस सरकार मंदिरों पर 10 फीसद टैक्स लगाने का कानून बनाने जा रही थी, जिसका भाजपा ने पुरजोर विरोध किया और वो कानून पास नहीं हो सका। अभी राज्य में वाल्मीकि घोटाला चरम पर है, जिसमे 1087 करोड़ रुपए की हेरफेर का आरोप लगाया जा रहा है। इस मामले में विभाग को संभालने वाले कांग्रेस मंत्री बी नागेंद्र गिरफ्तार हो चुके हैं। यहाँ भी कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति उजागर हुई है, जो एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि, क्या कांग्रेस केवल दलित-आदिवासी के वोट बटोरने का काम करती है और फिर सरकार बन जाने के बाद उनके हक़ का पैसा छीनकर अल्पसंख्यकों को देती है ? क्या पीएम मोदी का आरोप सही था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो आप लोगों का आरक्षण, संसाधन, छीनकर अल्पसंख्यकों को दे देगी ? क्योंकि, जहाँ कांग्रेस की सरकार है, वहां तो ऐसा ही दिख रहा है।