Sep 26 2015 01:18 PM
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर एक व्यक्ति ने सवाल किया है कि क्या सरकार किसी व्यक्ति को उसकी इच्छा विरुद्ध सरनेम बताने पर मजबूर कर सकती है? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्तों में इसका जवाब मांगा है.
क्या है मामला?
गौरतलब है कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा 28 मार्च 2014 को सर्कूलर जारी किया था कि नया बिजनेस शुरू करने के लिए आवेदन देने वालों को आवेदन में अपना सरनेम (उपनाम) भी बताना होगा. इसके खिलाफ निशांत नामक शख्स ने सर्वोच्च अदालत मे याचिका दायर की थी. निशांत का आरोप है कि यह सर्कूलर भारतीय संविधान की धारा 14 (समानता का अधिकार) और 21 (स्वतंत्रता की रक्षा) का भी हनन कर रहा है.
अब जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच यह अध्ययन करेगी कि क्या सरकार की यह शर्त संविधान के अनुच्छेद 19( 1)( g) के अंतर्गत देश के सभी नागरिकों को व्यवसाय करने के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन तो नहीं करती है. बता दें कि कई कंपनियां भी वित्तीय लेन-देन के दौरान सरनेम लिखने पर भी जोर देती हैं.
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