सुप्रीम कोर्ट ने एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसके तहत 6 से 14 साल के बच्चों को समान पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने की मांग की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि एक राष्ट्र, एक पाठ्यक्रम का आदेश कैसे दे सकते है.
गाजियाबाद के प्राइमरी स्कूल की असिस्टेन्ट टीचर नीता उपाध्याय की तरफ से दायर की गई इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा "हम इस विषय पर क्या कहे, सबकुछ कोर्ट तो नही कर सकता. ये संभव नही है." नीता उपाध्याय द्वारा दायर की गई इस याचिका में सरकार को छह से 14 साल के सभी बच्चों को समान पाठ्यक्रम से पढ़ाई करवाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
उन्होंने ऐसे दावे किए हैं कि संविधान की धारा 21 ए के तहत वर्तमान शिक्षा प्रणाली विसंगतिपूर्ण है. याचिका में कहा गया है कि बच्चों के अधिकारों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा तक सीमित नहीं करना चाहिए, बल्कि बच्चों के साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आधार पर भेदभाव किए बगैर गुणवत्ता योग्य शिक्षा उपलब्ध करवाने तक इसका विस्तार किया जाना चाहिए.
याचिका में आगे कहा गया है कि शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर किसी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. समान शिक्षा प्रणाली धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान के आधार पर होने वाले भेदभाव को खत्म करेगी.