पत्राचार से मिली इंजीनियरिंग की डिग्री SC ने की निरस्त
पत्राचार से मिली इंजीनियरिंग की डिग्री SC ने की निरस्त
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यह खबर उन छात्रों के लिए सबक है, जो किसी शैक्षणिक संस्था के बारे में पूरी जानकारी लिए बगैर प्रवेश ले लेते हैँ और लाखों रुपए की फीस भी जमा कर देते है, लेकिन बाद में पता चलता है कि उक्त संस्था को प्रवेश देने की मान्यता ही नहीं थी. रुपयों की लालच में ऐसी संस्थाएं छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करती हैँ. ऐसा ही एक मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 2001 के बाद से पत्राचार शिक्षा के जरिए हजारों छात्रों को मिली इंजीनियरिंग की डिग्री को निरस्त कर दिया.

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में पत्राचार से ली गई इंजीनियरिंग डिग्री की मान्यता को चुनौती देते हुए एक याचिका दाखिल की गई थी. जिसकी सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट के इस फैसले से कई छात्र निराश होंगे.

यही नहीं इस मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी डीम्ड विश्वविद्यालयों पर अगले अकादमिक सत्र से बिना संबंधित अथॉरिटी अर्थात यूजीसी, एआईसीटीई और डीईसी से अनुमति के दूरस्थ शिक्षा के जरिए कोई भी कोर्स चलाने पर रोक लगा दी है. अब डीम्ड विश्वविद्यालयों को हर कोर्स के लिए अलग-अलग अनुमति लेनी होगी.

आपको बता दें कि जिन चार डीम्ड विश्वविद्यालय की पत्राचार शिक्षा से प्राप्त डिग्रियों को निरस्त किया गया है, उनमें इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के अलावा जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ (उदयपुर), इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज (राजस्थान) और विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन (तमिलनाडु) हैं. यही नहीं शीर्ष अदालत ने एक महीने के अंदर डीम्ड यूनिवर्सिटी से ‘यूनिवर्सिटी’ शब्द हटाने के भी निर्देश दिए हैँ.

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