बढ़ती अधिवक्ताओं की संख्या से ही भ्रष्टाचार बढ़ रहा हैः सुप्रीम कोर्ट
बढ़ती अधिवक्ताओं की संख्या से ही भ्रष्टाचार बढ़ रहा हैः सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ते भ्रष्टाचार का कारण अधिवक्ताओं की बढ़ रही संख्या को माना है। कोर्ट का कहना है कि इन सबका कारण कानूनी प्रक्रिया है, इसमें सुधार की जरुरत है। अब समय आ गया है, जब हमें गुणवता पर भी ध्यान देना होगा। जो भी नए वकील बन रहे है, वो मेरिट व अच्छी योग्यता के बल पर बने।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा कराई जाने वाली परीक्षाओं को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई के दौरान बुधवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि देश में 20 लाख अधिवक्ता हो गए है। प्रत्येक वर्ष 60,000 नए लोग वकील बनते है, जिसमें से 2,000 लॉ स्कूल से व अन्य बाकी ऐसी जगहों से आते है, जहां सुविधाओं की कमी है।

कोर्ट ने कहा कि यह पूरी प्रणाली सुधार की मांग कर रही है। बार काउंसिल जल्द ही लाइसेंस देने के लिए परीक्षा आयोजित करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह टिप्पणी आर नागभूषण की याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिका में नागभूषण ने ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (एआइबीई) को लेकर बीसीआई की अधिसूचना को खारिज करने की मांग की है।

कोर्ट ने कहा कि काला कोट पहन लेने से कोई वकील नहीं बन जाता। हम ऐसों को अनुमति नहीं दे सकते, जो काला कोट पहनकर दूसरा धंधा चलाते है। चीफ जस्टिस ने वकीलों की प्रैक्टिस के मौजूदा सिस्टम में भी खामियां गिनाई हैं। उन्होंने कहा, वकीलों का सीधे शीर्ष कोर्ट में प्रैक्टिस करना सही नहीं है।

एक एडवोकेट को पहले ट्रायल कोर्ट में वकालत करनी चाहिए। आपके पास डिग्री है, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप वकील बन गए। जिस तरह आधा डॉक्टर नहीं बना जा सकता, उसी तरह आधा वकील भी नहीं बना जा सकता। मरीज के इलाज की ही तरह न्यायिक प्रशासन भी बेहद अहम है।

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