बांग्लादेशी आदिवासी जनजातियों को मिले भारतीय नागरिकता: SC
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश के तहत निर्देश दिया है की तीन महीनो के भीतर ही 1964 से 1969 के दौरान बांग्लादेश से भारत आने वाले चकमा और हाजोंग आदिवासी जनजातियों को भारतीय नागरिकता देने का निर्देश दिया है, सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश अरुणाचल प्रदेश सरकार व केंद्र को दिए है. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा की इन बांग्लादेशी आदिवासी जनजातियों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नही किया जाएगा. 

यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की बेंच ने सुनाया. कोर्ट ने कहा की पूर्व में जब चकमा और हाजोंग आदिवासी जनजातियों के लोगो को कप्ताई बांध का निर्माण होने पर उस क्षेत्र से विस्थापित हो गये थे जो पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) का हिस्सा है और उन्हें भारत सरकार के फैसले के तहत पुनर्वास की अनुमति दी गई थी. 

व नागरिकता प्रदान का यह मसला कोर्ट में विचाराधीन था व पीठ ने कहा की उनकी इस लंबित मामले पर इन आदिवासियों के साथ कोई भी भेदभाव नही किया जाएगा. व पीठ ने कहा की  इनर लाइन परमिट लेने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे अरुणाचल प्रदेश में बसे हैं. व पीठ ने यह निर्देश चकमा आदिवासियों के नागरिकता के अधिकारों के लिये समिति की याचिका दिया.   

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