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नई दिल्ली : देश को इंडिया कहा जाए या भारत इस पर कई बार लंबी बहस चलती रही है। चिंतक इंडिया और भारत को आर्थिक और सामाजिक पैमाने के अलग - अलग नज़रिए से इसे देखते रहे हैं। मगर इस बात पर देश का सर्वोच्च न्यायालय गंभीर दिखाई दे रहा है। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देकर इस मसले पर जवाब तलब किया है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता निरंजन भटवाल की याचिका पर सुनवाई की गई। इस दौरान कहा गया कि गैर सरकार संगठन और काॅर्पोरेट्स अपने आधिकारिक और गैर आधिकारिक कार्य के लिए प्रयोग में लाने पर केवल भारत का ही उपयोग करें।
मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायाधीश अरूण मिश्रा की पठी ने सुनवाई की।
जिसमें यह भी कहा गया कि राज्यों को सरकारी दस्तावेजों और केंद्र के आदेशों के साथ उनके निर्देशों में इंडिया शब्द का उपयोग न करते हुए भारत के उपयोग को बढ़ाने की बात कहें।
संविधान सभा में देश का नाम तय किए जाने को लेकर भारत, हिंदुस्तान, हिंद और भारतभूमि के साथ भारतवर्ष आदि नामों पर भी विचार किए गए। इस मसले पर कहा गया कि संविधान की धारा में इंडिया शब्द केवल संदर्भ के तौर पर ही शामिल किया गया यही नहीं धारा 395 में भारत शब्द का उल्लेख किया गया है।