नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वे राज्यों को मनरेगा के अंतर्गत बकाया और आवश्यक धन उपलब्ध करवाए। उनके द्वारा निर्देश दिया गया कि वे सूखा प्रभावित क्षेत्रों के किसानों को मजदूरी में देरी होने के लिए मुआवजे का भुगतान किया जा सकता हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार द्वारा वित्तीय कमी का हवाला देकर किसी भी तरह की कमी का नहीं रोया जा सकता है। सरकार अपनी जवाबदारियों से पीछे नहीं हट सकती है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को लागू करने के लिए आयुक्तों द्वारा नियुक्ति की जाएगी। विशेषतौर पर सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया जाना आवश्यक है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आखिर राजगार गारंटी परिषद की स्थापना किस तरह से की जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि कानून का शासन विभिन्न राज्यों और सभी के लिए दबाव वाला ही होता है।