26 जुलाई को है सावन शिवरात्रि, जरूर पढ़े यह कथा
26 जुलाई को है सावन शिवरात्रि, जरूर पढ़े यह कथा
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हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कुल 12 शिवरात्रि तिथि पड़ती हैं। जी हाँ और यह शिवरात्रि तिथि प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर मनाई जाती हैं। आप सभी को बता दें कि इन शिवरात्रियों में महाशिवरात्रि तथा सावन शिवरात्रि अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी हटी है। जी दरअसल कल 26 जुलाई को सावन शिवरात्रि पड़ने वाली है और सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करना मंगलमय है। कहा जाता है सावन शिवरात्रि पर व्रत रखने वाले भक्तों को यह कथा जरूर सुनना चाहिए। जी दरअसल ऐसा कहा जाता है कि इस कथा का पाठ करने से सावन शिवरात्रि व्रत का पूर्ण फल मिलता है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस दिन शिवरात्रि व्रत कथा का पाठ करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है और उनके जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। पढ़े शिवरात्रि व्रत कथा।

सावन शिवरात्रि व्रत कथा- पौराणिक कथा के अनुसार वाराणसी के घने जंगल में गुरुद्रुह नाम का एक भील शिकारी अपने परिवार के साथ निवास करता था। एक दिन गुरुद्रुह शिकार करने के लिए निकल लेकिन उसके हाथ एक भी शिकार न लगा। लंबे समय तक इंतजार करने के बाद वो जंगल में शिकार की तलाश करता हुआ वह एक बेल के पेड़ पर चढ़ गया। उस पेड़ के नीच एक शिवलिंग स्थापित था। कुछ देर बाद वहां भटकता हुआ हिरणी आई। जैसे ही गुरूद्रुह ने हिरणी को देखा उसने तीर-धनुष तान लिया। लेकिन तीर हिरणी को लगता उससे पहले ही उसके पास रखा जल और पेड़ से बेलपत्र शिवलिंग पर गिर गए। ऐसे में गुरुद्रुह ने अंजाने में शिवरात्रि के पहले पहर की पूजा की। जब हिरणी ने देखा तो उसने शिकारी से कहा कि मेरे बच्चे मेरी बहन के पास इंतजार कर रहे हैं। मैं उन्हें सुरक्षित जगह छोड़कर दोबारा आती हूं। कुछ समय बाद हिरणी की बहन वहां से गुजरी और उस समय भी गुरूद्रुह ने अनजाने में महादेव की उसी प्रकार से दूसरे पहर की पूजा की। हिरणी की बहन ने भी वही दुहाई देते हुए वापस आने का वादा किया। दोनों हिरणियों को खोजता हुआ वहां तीसरे पहर में हिरण पहुंचा।

इस बार ऐसी घटना घटित हुई और शिवरात्रि के तीसरे पहर की भी पूजा शिकारी ने अनजाने में कर ली। हिरण ने भी बच्चों की दुहाई देते हुए कुछ समय बाद आने का वादा किया। तीन पहर बीतने के बाद तीनों हिरण-हिरणी वादे के मुताबिक शिकारी के पास वापस लौट आए। लेकिन इस बीच भूख से कलपते हुए पेड़ से बेलपत्र तोड़ते तोड़ते वो नीचे शिवलिंग पर डालने लगा और इस तरह चौथे पहर की भी पूजा हो गई। चारों पहर भूखा-प्यासा रहते हुए और अंजाने में भगवान की पूजा करके गुरूद्रुह के सभी पाप धुल गए। तब भगवान शिव ने प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देकर उन्हें आशीर्वाद दिया कि त्रेतायुग में भगवान विष्णु के अवतार श्री राम उसके घर पधारेंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी। इस प्रकार अंजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।

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