सावन में कांवड़ चढाने के सख्त होते हैं नियम
सावन में कांवड़ चढाने के सख्त होते हैं नियम
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श्रावण का महीना आज से शुरू हो चुका है और हर कोई शिव भक्ति में लग रहा है. आषाढ़ की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा को कहा जाता है और आज इसी संयोग से श्रावण भी शुरू हो रहे हैं. आप जानते ही होंगे कि सावन के महीने में शिव भक्त कांवड़ लेकर जाते हैं और कांवड़ ले जाने के कुछ नियम होते हैं. सावन का महीना शिवजी के लिए भी कहा जाता. ये माना गया है कि सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था और उसी समय शिवजी ने विष ग्रहण किया था जिसके बाद विष के प्रभाव को शांत करने के लिए गंगा जी को धरती पर बुलाया गया था. तभी से सावन के महीने में शिवजी को गंगाजी का जल अर्पित किया जाता है और ये अब एक परम्परा बन चुकी है.

सावन में ही क्यों चढ़ाई जाती है भगवान शिव को कांवड़ ?

कांवड़ ले जाने के भी कुछ नियम होते हैं जिन्हें मानना ही होता है ये बहुत ही सख्त भी होते हैं. भगवान शिव को कांवड़ चढाने के लिए कई नियमों का पालन करना पड़ता है अगर ऐसा नहीं हुआ तो कहा जाता है भगवान शिव रुष्ठ हो जाते हैं. जान लीजिए इसके नियम.

* इसमें नशे की सख्त मनाही है. किसी भी तरह का नशा करना वर्जित है.

* खाने में आप कुछ भी मांसाहारी नहीं खा सकते. जब तक यात्रा पर हैं आपको सात्विक रहना होगा.

* कांवड़ को जमीन पर रखने की मनाही होती है, अगर कहीं भी रुकना पड़े तो कांवड़ को ऊँचे स्थान पर रखा जाता है.

* चमड़े से सामान से दूर रहना होगा, आपका पर्स और बेल्ट जैसी चीज़ें छूना नहीं है.

* 'हर हर महादेव' और 'बोल बम' का नारा लगते जाना है.

* यात्रा को पैदल करने का विधान है जिसमें कुछ लोग नंगे पैर भी करते हैं और कुछ चप्पल पहनकर भी करते हैं.

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