सावन के महीने में जरूर पढ़िए नागेश्वर और रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की कहानी
सावन के महीने में जरूर पढ़िए नागेश्वर और रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की कहानी
Share:

आप सभी जानते ही हैं कि इस समय सावन का पवित्र महीना चल रहा है और इसमें देवों के देव महादेव का पूजन किया जाता है. ऐसे में आप जानते होंगे कि भगवान शिवलिंग रुप में 12 स्थानों पर विराजमान है और आज हम आपको उनके दो शिवलिंग की कहानिया बताने जा रहे हैं. आइए जानते है.

* नागेश्वर- कहते हैं यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहर नागेश्वर में स्थित है. भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है. कथानुसार दारुका नाम की एक राक्षसी थी उसने देवी पार्वती की कठिन तपस्या कर उनसे वरदान प्राप्त किया था. दारुका अपने पति दारुक के साथ उस वन पर राज करती थी दोनों बड़े ही क्रूर और निर्दयी थे दोनों मिल कर वहां की जनता पर तरह तरह के अत्याचार करते थे. वहां की जनता उनके अत्याचारों से त्रस्त थी और उनके अत्याचारों से मुक्ति पाने के उद्देश्य से महर्षि और्व की शरण में पहुंचे. महर्षि और्व ने उनकी याचना सुनी और उसके बाद उन्होंने राक्षसों को श्राप दिया की जब कोई राक्षस किसी धार्मिक कार्य में व्यवधान पहुचायेगा तो उसकी मृत्यु हो जायेगी. एक बार वैश्यों का एक समूह गलती से उस वन के समीप पहुँच गया और दारुक ने उन पर आक्रमण कर उन्हें अपना बंदी बना लिया. उन वैश्यों के नेता सुप्रिय नाम का एक शिव भक्त था. जब दारुक ने उन्हें अपने जेल में बंद किया तो उसने देखा की सुप्रिय बिना किसी डर और खौफ के अपने ईस्ट देव का स्मरण कर रहा था. यह देख कर दारुक अत्यंत क्रोधित हो उठा और सुप्रिय को मारने के लिए दौड़ पडा परन्तु सुप्रिय ने बिना किसी डर के भगवान शिव का स्मरण किया. उसने भगवान् शिव से कहा की प्रभु मैं आपकी शरण में हूँ. उसकी पुकार सुन कर भगवान शिव कालकोठरी के कोने में बने एक बिल से प्रकट हुए और उनके साथ ही वहां एक विशाल मंदिर भी अवतरित हुआ. दूसरी ओर दारुका ने देवी पार्वती की आराधना शुरू कर दी और उनसे अपने वंश की रक्षा करने को कहा. फिर देवी पार्वती ने भगवान् शिव से दारुका के वंश को जीवन दान देने की विनती की. तब शिवजी ने कहा की इस युग के अंतिम चरण से यहां किसी भी राक्षस का वास नहीं होगा और ज्योतिर्लिंग के रूप में भगवान् शिव और देवी पार्वती वहीँ स्थापित हो गए और उस दिन से उन्हें नागेश्वर तथा नागेश्वरी के नाम से जाना जाने लगा.

*रामेश्वरम- आपको बता दें कि यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु के रामनाथ पुर नामक स्थान में स्थित है. भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में एक है. इस ज्योतिर्लिंग की मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी. भगवान राम ने स्वयं अपने हाथों से पवित्र पावन शिवलिंग की स्थापना की थी! राम के ईश्वर अर्थात भगवान शिव को रामेश्वर है.

सावन में यहाँ जानिए त्र्यंबकेश्वर से लेकर वैद्यनाथ तक की कहानी

राशि के अनुसार सावन में करें श्री हरी के मंत्रो का जाप

अगर रोज भोले को नहीं अर्पित कर पाते बेलपत्र तो चढ़ाये इन 4 पत्तों में से कोई एक

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -