आपको ये बात जानकर बहुत हैरानी होगी की हाल में ही सऊदी अरब ने एक रोबोट को नागरिकता अधिकार देने के कारण अखबारों में खूब सुर्खियां बटोरी हैं, जिससे ये बात समझ में आती है की अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का समय शुरू हो गया है. सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के प्रमुख संगठन नासकॉम के अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर के द्वारा इस बात की पुष्टि की गयी की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से बढ़ती एक ऐसी व्यवस्था है जहां मानवों द्वारा किए जाने वाले बहुत से कामों को रोबोट अंजाम देते हैं.
चंद्रशेखर ने ये भी बताया की सऊदी अरब का एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले मानव जैसे (ह्यूमनॉइड) रोबोट को नागरिकता देना दरअसल एक 'प्रतीकात्मक संकेत' है जिसका उद्देश्य टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की ओर ध्यान खींचना और टेक्नोलॉजी को पूरी तरह से काम करने की फ्रीडम देना है. चंद्रशेखर ने बताया की रोबोट को नागरिकता देने की कोई आवश्यकता नहीं थी, ये बस एक प्रतीकात्मक संकेत था.
वैसे तो रोबोट को नागरिकता देने से बहुत सारे सवाल पैदा हो गए. इसका अपना एक महत्व है इससे ये बात पता चलती है कि बदलते समय के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का समय आ गया है और यह एक ऐसे लेवल पर पहुंच गया है जहां इंसान और रोबोट के कामों की तुलना की जा सकती है,
जबसे मशीने बनी तबसे उसने इंसान के द्वारा किए जाने वाली शारीरिक मेहनत पर असर डाला और धीरे-धीरे मानव उस तरह की नौकरियों से दूर हो गया. पर सच्चाई में मशीनों ने और ज्यादा नौकरियों को पैदा कीं. ऐसे ही रोबोट के आ जाने से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नौकरियों की गिनती में और काम पर असर बढ़ेगा क्योंकि यह मनुष्य के मानसिक कार्य क्षेत्र में जा रहा है. लेकिन उनका मानना है कि इससे कुछ तरह की नौकरियां जाएंगी और नए तरह की नौकरियों की एक पूरी श्रृंखला खड़ी होगी.
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