बिहार में खाया जाने वाला सत्तू बन गया हैं देश की पहचान
बिहार में खाया जाने वाला सत्तू बन गया हैं देश की पहचान
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शायद हमने कभी सत्तू का नाम तो सुना होगा किन्तु अभी तक इससे बनने वाली डिश को कभी खाया नही होगा. सत्तू पहले सिर्फ बिहार तक ही सिमित था, किन्तु आज के समय में सत्तू को राष्ट्रिय स्तर पर पहचाने जाने लगा हैं. सत्तू आज दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन और मुंबई के घाटकोपर सहित देश के कई बड़े-बड़े बाज़ारों की शान बनने लगा है. इसके पीछे सत्तू की सीरत ही कहिये कि ऑफिस जाने वालों से लेकर कॉलेज जाने वाले युवाओं के बीच भी यह काफी पॉपुलर हो रहा है. वही इसमें इतनी खुबिया हैं जिसको लेकर शायद आपको पता नही होगा.

आमतौर पर सत्तू का इस्तेमाल शरबत बनाने के लिए होता हैं. किन्तु आज के इस समय में इससे विभिन्न तरिके की रेसिपी बनायीं जा रही हैं. इसी के साथ यह शारीरिक शक्ति को बढ़ाने में भी मददगार साबित हो रहा हैं. हम आपको बता रहे ऐसे ही इसके कुछ खास गुण-

यह गर्मियों के दिनों में भी बहुत असरकारी होता हैं. गर्मियों के दिनों में सत्तू शरीर को ठंडक पहुंचाने का काम करता है. इसका नियमित सेवन शरीर को लू की चपेट से बचाता है. इसी के साथ चने से बना सत्तू मरीजों के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं. साथ ही उनकी सेहत पर सकारात्मक असर करता हैं.

पेट की बीमारियों में भी यह लाभदायक होती हैं. इसमें मौजूद प्रोटीन लिवर को मजबूत करता है और खाना पचाने में सहायक होता है. यही नही सत्तू मोटापे को कम करने में भी मदद करता हैं. इसके नियमित सेवन से मोटापा कम होता हैं.

सत्तू को हम शरबत या ज्यूस के अलावा भी कई प्रकार से सेवन कर सकते हैं. सत्तू की हम रोटी भी बना सकते हैं. साथ ही सत्तु के पराठे भी बन सकते हैं. इसके अलावा बिहारी कॉलोनी में मिलने वाली लिट्टी भी इसी का बना होता हैं. लिट्टी बनाने के लिए भी सत्तू का प्रयोग किया जाता है.

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