कटाक्ष: दिल्ली गौशाला में 36 गायों ने की सामूहिक आत्महत्या
कटाक्ष: दिल्ली गौशाला में 36 गायों ने की सामूहिक आत्महत्या
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देश में इन दिनों गाय को लेकर चर्चा जोरों पर है, कभी गौ तस्करी के आरोप में भीड़ द्वारा किसी मनुष्य की हत्या, तो कभी किसी कसाईखाने से गाय की हत्या. गाय और हत्या का कुछ ऐसा सामंजस्य आजकल देश में दिखाई पड़ रहा है, जैसे दोनों का घनिष्ट सम्बन्ध हो. ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब गायों को खुले आम सड़कों पर घूमते और मैदानों में चरते देखा जा सकता था, किन्तु अब तो रात की बची हुई रोटी लेकर निकलो तो कई मील तक एक गाय ढूँढना मुश्किल हो जाती है. 

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इसकी सबसे बड़ी वजह है कि हमारे देश में गौप्रेमियों की जमात में भारी वृद्धि हो रही है. इन लोगों ने तमाम आवारा घूमती और कचरे के ढेरों में मुँह मारती गायों पर तरस खाकर उनकी सम्पूर्ण व्यवस्था आलिशान गौशालाओं में कर दी है, जहाँ उन्हें सभी सुविधाएं दी जाती हैं और दी भी क्यों ना जाए, आखिर गाय हमारी माता है और इन्ही के नाम पे तो धन आता है. अभी हाल ही में एक खबर ने काफी हलचल मचा रखी है, खबर ये है कि दिल्ली की एक गौशाला में 36 गायों ने जान दे दी. एक साथ इतनी गायों की मौत ने सरकार को हिला दिया और डॉक्टरों के साथ पुलिस की एक टीम भी जांच करने पहुँच गई. जांच में पाया गया कि गायों की मौत बीमारी की वजह से हुई है. अब बताइये आवारा घूमती गायों को बीमारियां नहीं होती और उस आलिशान और सर्वसुविधायुक्त गौशाला में गायों को बीमारियां कैसे हो गई.

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मैंने उन्हें समझाया कि भैया ये बिमारियों से मौत का मामला नहीं है, बल्कि सामूहिक आत्महत्या का मामला है. इसपर वो लोग नाराज़ हो गए और बोले ये कैसी बातें कर रहे हैं आप. मैंने कहा अरे भाई जब किसी जीव की समस्त सांसारिक इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं तब उसकी मुक्ति की अभिलाषा जोर पकड़ती है और वो सांसारिक बंधन तोड़ कर मुक्त हो जाना चाहता है. सड़क पर दर-दर की ठोकरें खाने वाली गायों को जब महलों जैसी सुविधाओं वाली गौशाला में लाया गया, तो उन गायों ने अपना सारा सुख उस गौशाला में भोग लिया और फिर गौशाला के मालिक को दुआएं देते हुए परलोकगमन का निर्णय लिया. मेरी यह बात कुछ गौप्रेमियों को जंच गई, वही गौप्रेमी जो गाय को माता मानते हैं, उन्होंने इस पर स्वीकृति देते हुए कहा "आप सही कह रहे हैं, गाय तो माता होती है और माओं का दिल तो ऐसा ही होता है". 

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