Satire: कभी तो ठहरो जनाब भारत में...
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देश के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैसे तो प्रधानमंत्री की भूमिका कम विदेश मंत्री की भूमिका में ज्यादा नजर आते है. हाल ही में मोदी सिंगापुर के दौरे पर है, इससे पहले मोदी ने कुछ दिनों पहले रूस की यात्रा की वहीं नेपाल, उससे पहले चीन और न जाने कहाँ-कहाँ, प्रधान साहब के विदेश के दौरों के आगे लेख के शब्द भी कम पड़ जाएं लेकिन दौरे कम न पड़े और अभी शायद इस कार्यकाल का एक साल और बाकी है इस लिहाज से देखा जाए तो विदेश दौरों की लिस्ट गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में तो दर्ज हो जाएगी, वहीं प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने अब तक करीब 50 से ज्यादा देशों की यात्रा की है जो आपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है जिसके लिए आप पर गर्व है.

प्रधान साहब की विदेश यात्राओं से परिणाम क्या निकला ये एक राज की बात है जो अभी किसी को बताई नहीं जाएगी. वहीं इन विदेश दौरों के बाद मोदी जी का भाषण और लोगों को सम्बोधित करने का जो तरीका रहा है वो भी काफी निराश ही करने वाला रहा है. एक प्रधानमंत्री को विकास के नाम विदेश में भारत की एक सच्ची तस्वीर रखकर देश और ग्लोबल लेवल पर विकास की जो बातें तर्कों के माध्यम से करनी चाहिए वो इनके भाषणों में दिखाई नहीं पड़ती है. 

मोदी के भाषणों का निचोड़ निकालकर देखा जाए तो यहाँ पर विदेश में भी खुद की तारीफें और अपनी सरकार के काम गिनाने के अलावा कुछ किया नहीं है, काम गिनाना भी अच्छी बात है लेकिन ऐसे काम गिनाने से क्या मतलब है जो आपने अभी तक शुरू ही नहीं किए है, हाल ही में सिंगापुर में मोदी ने वहां के स्टूडेंट्स से बात करते हुए कहा है कि "2001 के बाद से मैंने अपने काम से 15 मिनट भी छुट्टी नहीं ली है."

सिंगापुर के स्टूडेंट्स क्या जाने बेचारे, लेकिन मोदी जी को देश के लोग भी सुन रहे है. पिछले 17 सालों से 15 मिनट भी छुट्टी नहीं लेने वाले प्रधान साहब शायद 2015 की अपनी पाकिस्तान यात्रा भूल गए जहाँ पर नवाज़ शरीफ जैसे भ्रष्टाचारी नेता के घर खाना खाकर मोदी ने देश सेवा की थी, देश सेवा का ऐसा नमूना वो बिना छुट्टी लिए आज तक देखा नहीं.

देश के ऐसे पहले प्रधान साहब होंगे जो बीजेपी के छोटे-छोटे चुनाव के लिए अपना हेलीकाप्टर लेकर उड़ जाते है चुनावी रैलियों को सम्बोधित करने के लिए, हाल ही कैराना चुनाव से एक दिन पहले बागपत की रैली हो या कर्नाटक में बीजेपी का वोट बैंक बढ़ाने के लिए की गई रैलियां भी शायद देश सेवा में ही आएगी जिसके लिए शायद आपने पिछले 17 सालों से एक भी छुट्टी नहीं ली है. 

अभिव्यक्ति की आजादी के कारण लिख रहा हूँ, कि मानते है यह हर किसी की जिंदगी का एक हिस्सा है, लेकिन साहब माफ़ करना किसी राजनैतिक पार्टी के लिए घंटों बर्बाद कर चुनावी रैली को सम्बोधित करना और जीत के लिए जरुरी सूत्र तैयार करना शायद एक पीएम का काम नहीं है, बाकी तो आप पर हमें गर्व है, ओवरआल आप विश्व के सबसे पॉपुलर नेताओं में से एक है.

 

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