बेरोज़गारी तो 'सदियों' से जारी है, हम सुशांत-कंगना के आभारी हैं
बेरोज़गारी तो 'सदियों' से जारी है, हम सुशांत-कंगना के आभारी हैं
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भिया, हम भारत के लोग भी भोतइ अजीब हैं, एक तो हमें मुद्दों की कोई समझ नी है और दूसरा ये कि हम कई चक्कर लोगों की बातों में आके खुद के पांव पे ही कुल्हाड़ी दे मारते हैं। अब कल की ही बात ले लो, कल मैं TV देख रिया था, सुशांत भिया के मैटर पर भोत ही दिमाग वाली जानकारी मिल री थी, टीवी रिचार्ज के पैसे वसूल होने ही वाले थे कि राहुल भैया (अरे गांधी नहीं, हमारे पड़ोसी राहुल घोरपड़े) टपक पड़े और बेरोज़गारी की पीपड़ी बजाने लगे। अपना दिमाग तो उनको देखते ही आउट हो गया था, फिर सोचा कि बेचारा भोला है, नासमझ है, इसीलिए मुद्दे से भटक रिया है।  मैंने उनसे कही कि 'राहुल भैया देखो, बेरोज़गारी तो तुम्हारे पैदा होने के पहले भी थी, अब भी है और तुम्हारे सटक लेने के बाद भी रहेगी। लेकिन सुशांत भिया को देखो तुम्हारे बाद आए और तुम्हारे पहले निकल लिए। और इत्ती सी जिंदगी में भी वो देश के लिए जित्ता कर गए हैं ना, तुम सात जन्म में भी नी कर पाओगे और रही बात बेरोज़गारी की, तो एक बार धरती पर से पानी ख़त्म हो सकता है, लेकिन बेरोज़गारी नहीं।'

लेकिन राहुल भिया तो भोले ठहरे, फिर भटक गए, बोले 'सरकारी संपत्ति, बैंक जमकर बिक रही हैं, उद्योग धंधे डूब रहे हैं और आगे अधिक दुष्परिणाम होंगे और कोरोना से मरने वालों की संख्या भी दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है।' अब तो मेरेको उनपे दया आ गई, मैंने उनको याद दिलाया कि 'राहुल भिया आप राहुल गांधी नी हो'। मैंने उनको बताया कि 'भिया, अगर सुशांत भिया जिन्दा होते ना, तो ये नौबत ही नी आती,  उनके मरने देश की अर्थयवस्था को भोतइ बड़ा झटका लगा है और देश का सकल घरेलू उत्पाद -24.00 हो गया है। जिसका गड्डा भरने के लिए सरकार को सब बेचना पड़ रिया है। और जहाँ तक कोरोना की बात है, तो जब दुनिया का 'दादा' अमेरिका भी उससे नी निपट पा रिया है, तो अपन किस खेत की मूली हैं।'   

अब राहुल भिया कुछ ठंडे पड़े, फिर मैंने उनको पास बिठा के समझाया कि 'देखो भिया तुम टेंसन मति लो, सुशांत भिया के चले जाने से नुक्सान तो भोत हुआ है, लेकिन कंगना मैडम ने इसको भरने का जिम्मा उठाया है और हमारा मीडिया भी इस काम में उनका जोर लगाके साथ दे री है। इसीलिए तो सरकार ने उनको Y+ सुरक्षा दे रखी है, ताकि कोई देश का विकास ना रोक दे। अब कंगना मैडम जी जान से देश की उन्नति में लग गईं हैं, वो भारत को विश्वगुरु बनाकर ही दम लेंगी। इसीलिए तो मीडिया उन्हें दिनभर दिखता रेता है, जिससे मैडम का कोई ख़ास संदेश पब्लिक से नी छूटे।' अब तो राहुल भिया को भी कुछ-कुछ समझ आ गया था, उनने बोले 'तुम सई बोल रे हो मोटा भाई, (दरअसल मेरा वजन थोड़ा ज्यादा है, अमित शाह ना समझें) वाकई सुशांत भिया और कंगना मैडम ने देश के लिए भोत कुछ किया है और अब तो मैं भी इनकी एक भी खबर मिस नी करूंगा, क्या पता खबर मिस करने से जीडीपी और गिर जाए या दो-चार कोरोना पेशेंट मर जाएं।' इत्ता बोलके राहुल भिया राम-राम करके निकल लिए। मैं मन ही मन में मुस्कुरा रिया था, क्या है कि राहुल भिया भी अब समझदार होने लग गए हैं न। 

अंत में सुशांत भिया को सलाम 
कंगना मैडम को प्रणाम

और भारतीय मीडिया को साष्टांग दंडवत...जय हो TRP वाली मैया की...। 

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