कौन थे श्री सत्य साईं बाबा? जानिए क्यों मिली थी उन्हें शिरडी साईं बाबा की उपाधि
कौन थे श्री सत्य साईं बाबा? जानिए क्यों मिली थी उन्हें शिरडी साईं बाबा की उपाधि
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श्री सत्य साईं बाबा ने अपने जीवन के 85 वर्ष तक शांतिपूर्ण जीवन बिताने के बाद आज ही के दिन 24 अप्रैल 2011 को अपनी देह त्याग दी थी। श्री सत्य साईं बाबा एक ऐसा नाम जिनकी पूरी जिंदगी रहस्यों से घिरी रही। इन्होंने अपने जीवन काल में कई ऐसे चमत्कार किये जिससे हर कोई इन्हें अपना गुरु मानने लगे। इनका जन्म आन्ध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी गांव में 23 नवम्बर 1926 को हुआ था। सत्य साईं बाबा में आस्था रखने वाले भक्त देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उपस्थित हैं। आज दुनिया के 148 देशों में सत्य साईं केंद्र स्थापित हैं।

वही भारत में कई साईं संगठन हैं। जहाँ साईं भक्त श्री सत्य साईं बाबा के आध्यात्मिक नियमों का पालन करते हुए बाबा के आध्यात्मिक संदेशों का प्रचार कर रहे हैं। इनके अनुयायी इन्हें शिरडी के साईं बाबा का अवतार मानते हैं। सत्य साईं बाबा हमेशा अपने प्रवचनों के जरिये बोलते रहे कि ‘मैं देह स्वरूप नहीं हूं, मैं आत्मा स्वरूप हूं, मुझे देह मानने की भूल न करो।’ उन्होंने इस बात की भी भविष्यवाणी कर दी थी कि उनके अगले अवतार प्रेमा साईं का जन्म 2024 में होगा।

सत्य साईं बाबा के ‘चमत्कार’: सत्य साईं बाबा के भक्त उन्हें चमत्कारिक शख्स मानते थे। उनके कई ‘चमत्कार’ सुर्ख़ियों में भी रहे हैं। हालांकि कुछ व्यक्ति इनके चमत्कारों को हाथ की सफाई मानते थे। इनके हवा से भभूति बरसाना, हाथों में सोने की चेन या अंगूठी का अचानक आ जाना, शिवरात्रि पर सोने का शिवलिंग अपने मुंह से निकालना आदि चमत्कार ऐसे थे जिनसे इनके श्रद्धालुओं के मन में इनके प्रति श्रद्धा-विश्वास और गहराता चला गया। बताया जाता है कि सत्य साईं बाबा के जन्म के वक़्त भी चमत्कार हुआ था जब घर में रखे वाद्ययंत्र अचानक से बजने लगे थे।

सत्य साईं बाबा से जुड़ी कहानियां: बताया जाता है बचपन में उन्हें एक बार एक बिच्छू ने काट लिया था जिससे वे कोमा में चले गए थे। जब वो होश में आए तो उनका आचरण परिवर्तित हो गया। उन्होंने खाना-पीना त्यागकर श्लोक तथा मंत्रों का उच्चारण करना आरम्भ कर दिया था। इसी प्रकार एक कहानी इनके स्कूल के वक़्त से भी जुड़ी है। बताया जाता है कि एक दिन उनके अध्यापक ने उन्हें बिना किसी वजह बेंच पर खड़ा कर दिया था। वह अध्यापक की बात मानकर चुपचाप घंटों बेंच पर खड़े भी रहे तथा जब क्लास समाप्त हुई तब उनके अध्यापक जैसे ही अपनी कुर्सी से उठने लगे तो वह नहीं खड़े हो पाए। कहा जाता है कि ऐसा सत्य साईं बाबा के ‘चमत्कार’ की वजह से हुआ।

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