अंतरिक्ष में मौजूद मानव निर्मित कचरा साफ़ कर रही जापानी कंपनियां, पृथ्वी के लिए है बड़ा खतरा
अंतरिक्ष में मौजूद मानव निर्मित कचरा साफ़ कर रही जापानी कंपनियां, पृथ्वी के लिए है बड़ा खतरा
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नई दिल्ली: अंतरिक्ष में ढेरों सैटेलाइटों का मलबा इकठ्ठा हो गया है। यह मलबे धरती का चक्कर काट रहे हैं। ऐसे में यदि कोई नया सैटेलाइट इन मलबों के ढेर से टकराएगा तो ना केवल करोड़ों का नुकसान होगा, बल्कि रिसर्च प्रोजेक्ट भी पूरा नहीं हो सका है। मानव निर्मित मलबों के ये टुकड़े अलग-अलग उपग्रहों और अंतरिक्षयानों के लिए बड़ा खतरा बने हुए हैं। हालांकि, इन मलबों की सफाई में जापान की चार कंपनियां युद्धस्तर पर काम कर रही हैं और बेहतर व्यापार के अवसर देख रही हैं। ये कंपनियां उन समाधानों को विकसित करने में लगी हुईं हैं, जिनकी बदौलत आने वाले दिनों में अंतरिक्ष यात्रा ज्यादा सुरक्षित हो सकेगी।

उल्लेखनीय है कि सभी देश अंतरिक्ष में अपनी गहरी पैठ बनाने के प्रयास में लगे हैं। इसके कारण वे अंतरिक्ष में अपने अधिक से अधिक सैटेलाइट छोड़ रहे हैं। ऐसे में आने वाले वक़्त में स्पेस में इन मलबों की मात्रा और अधिक हो जाएगी। बता दें, अंतरिक्ष में मानव निर्मित मलबे आठ किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ़्तार से धरती का चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, सैटेलाइटों के टकराने से बना मलबा 40 हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चक्कर लगा रहा है। यह मलबा इतनी तेज रफ्तार से चक्कर लगाता है कि, एक मूंगफली का दाना भी टकराने पर ग्रेनेड जैसा असर करता है। अंतरिक्ष का कचरा धरती में पलने वाले जीवन के लिए भी बड़ा खतरा है। यदि कोई बड़ा टुकड़ा वायुमंडल में दाखिल होते वक़्त पूरी तरह नहीं जला तो बहुत तबाही मचा सकता है।

जापानी कंपनी एस्ट्रोस्केल वर्ष 2013 में बनाई गई थी और इसकी चार शाखाएं ब्रिटेन, अमेरिका, इस्राइल व सिंगापुर में हैं। इस कंपनी ने इसी वर्ष 22 मार्च को कजाखस्तान के बाइकोनुर कॉस्मोड्रोम से छोड़े गए सोयुज रॉकेट में भेजे अपने एल्सा-डी डिमॉन्स्ट्रेशन क्राफ्ट के माध्यम से अपनी ‘एंड ऑफ लाइफ सर्विसेज' आरंभ कर दी हैं।

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