श्राद्ध पक्ष अमावस्या जिसे सर्वपितृ दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। को लेकर श्रद्धालुओं का तांता पितृ मोक्ष तीर्थों पर लगा हुआ है। दरअसल चतुर्दशी और अमावस्या के दिन इन तीर्थों पर अपने पितृओं की शांति के लिए श्रद्धालु तर्पण, पिंडदान, पूजन अर्चन का कार्य करेंगे। इस दौरान मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित अतिप्राचीन सिद्धवट क्षेत्र और मंगलनाथ मार्ग स्थित श्री गयाकोठा तीर्थ पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा।
श्रद्धालु यहां पर पितरों की शांति के लिए पूजन - तर्पण और पिंडदान आदि कार्य करेंगे। इतना ही नहीं श्रद्धालुओं द्वारा माता पार्वती द्वारा रोपे गए वट वृक्ष सिद्धवट पर दूध की धार अर्पित कर पितरों को शांत करेंगे। माना जाता है कि यह वृक्ष माता पार्वती ने रोपा था। दूसरी ओर ऋषि तलाई स्थित श्री गयाकोठा तीर्थ पर भी श्रद्धालु श्री विष्णु पाद पर दूध अर्पित कर पुण्यलाभ लेंगे। दोनों ही पितृ मोक्ष स्थलों पर श्रद्धालु पितृओं का तर्पण करेंगे।
यहां पर पिंडदान आदि कार्य भी होंगे। यह अमावस्या श्राद्ध पक्ष का सबसे बड़ा दिन कहलाती है। माना जाता है कि इस तिथि में ज्ञात अज्ञात पितरों का भी श्राद्ध करने से उनकी शांति होती है और पुण्य लाभ मिलता है। अमावस्या पर किया गया श्राद्ध सभी इच्छाओं को पूर्ण करता है। यदि यह श्राद्ध शुक्रवार को होता है तो धन की प्राप्ति होती है।