सारंगपुरम। महाबलि जितेंद्र हनुमान जी अष्ट चिरंजीवों में से एक माने गए हैं। श्री हनुमान भगवान शिव के रूद्रावता हैं। जिनमें अतुलित बल है जो किसी चट्टान से भी बड़ा आकार ले सकते हैं और जरूरत पड़ने पर सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप भी धर सकते हैं। हिंदूओं के प्रमुख देवता महाबलि हनुमान जी विद्या, बुद्धि, बल प्रदान करते हैं। भारत समेत ऐसे देशों में जहां हिंदूओं का निवास है वहां हनुमान जी के मंदिर बड़ी संख्या में हैं। इन मंदिरों में कुछ मंदिर बेहद लोकप्रिय हैं, जहां मांगने भर से मुराद पूरी हो जाती है।
ऐसे ही एक मंदिर के तौर पर जाना जाता है निजामाबाद के समीप स्थित सारंगपुरम गांव का हनुमान मंदिर। मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है और बड़ी संख्या में लोग इस मंदिर में आस्था रखते हैं। श्रद्धालुओं की मान्यता और आस्था के कारण यह देश के महत्वपूर्ण तीथों में माना जाता है। बबा हनुमान जी का यह धाम बड़ा ही निराला है। बाबा की मूर्ति को पत्थर के विशाल टुकड़े पर तराशा गया। मंदिर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। लोकप्रिय संत समर्थ गुरू राम दास ने इस मंदिर में करीब 425 वर्ष पूर्व प्राण प्रतिष्ठा की थी। यहां आने वाले को दर्शनमात्र से ही सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
शनिवार और मंगलवार को श्रद्धालु यहां विशेष आराधना करते हैं। मंगलवार को मंदिर में आटे के दीपक लगाने का विधान है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंगलवार को बाबा को प्रसन्न करने के लिए नारियल चढ़ाते हैं और चने - चिरौंजी का प्रसाद समर्पित करते हैं। यहां होने वाली आरती बहुत ही भव्य होती है। श्रद्धालुओं में मंगलवार को बाबा को चोला चढ़ाने के लिए भी होड़ लगी रहती है। माना जाता है कि श्री हनुमान जी को चोला श्रृंगार करवाने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। श्रद्धालु मंदिर में सुंदरकांड भी करवाते हैं। यहां बड़ी संख्या में शीघ्र विवाह, संतान की कामना के लिए श्रद्धालु पूजन करते हैं। मंगल दोष की पीड़ा के निवारण के लिए यहां आटे, बेसन आदि के दीपक प्रज्जवलित करने का विधान है।