आसान नहीं था रियासतों में बंटे भारत का विलय
आसान नहीं था रियासतों में बंटे भारत का विलय
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अपने इरादों से जिसे खंड खंड हो चुके भारत को एकता के सूत्र में पिरोया। जिसने रियासतों में गढ़े हुए भारत को लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। ऐसी महान विभूति को लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल के तौर पर जाना गया। जी हां, सरदार वल्लभ भाई पटेल जिनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था। वे स्वाधीन भारत के प्रथम गृहमंत्री बने। उन्होंने गृहमंत्री के तौर पर देश को एकजुट करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रयास किया।

लौहपुरूष वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। उनके पिता झावेरभाई किसान थे और मां लाडबाई साधारण महिला थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रारंभिक शिक्षा करमसद में हुई। वल्लभाई पटेल उनका विवाह झबेरबा से हुआ। 1904 में उन्हें पुत्री और 1905 में पुत्र दहया भाई प्राप्त हुए। सरदार पटेल को उनके बड़े भाई ने बैरिस्टरी पढ़ने के लिए भेजा। वहां से वे 1913 में भारत लौटे और फिर अहमदाबाद में उन्होंने वकालत करना प्रारंभ की।

मगर वे जल्द ही गांधी जी के संपर्क में आए और फिर स्वाधीनता के आंदोलन में कूद गए। उन्होंने वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा से खेड़ा सत्याग्रह किया । यहां वल्लभ भाई का प्रभाव नज़र आया। पटेल ने कई आंदोलनों में भागीदारी की। उनके द्वारा बारदोली के सत्याग्रह से अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया गया।

वर्ष 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया और फिर बाद में 15 अगस्त 1947 को उन्होंने स्वाधीन भारत के प्रथम गृहमंत्री के तौर पर देश की बांगडोर संभाली। सरदार पटेल देशसेवा का कार्य करते रहे। पं. नेहरू के साथ उनका गोवा मुक्ति को लेकर विवाद भी हो गया था। इसके बाद भी वे देश सेवा में लगे रहे। देश हित के कार्य करते हुए उन्होंने 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में अंतिम सांस ली।

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