असम का आनंद सर्बानंद
असम का आनंद सर्बानंद
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आखिरकार नॉर्थ इस्ट की जमीन पर कमल खिल ही गया. अक्सर यही कहा जाता रहा है कि कमल को खिलने के लिए भूमि उसर होना चाहिए लेकिन इस बार तो यह नॉर्थ इस्ट की राजनीतिक जमीन पर भी खिल गया. यह सब रहा केंद्रीय खेल मंत्री रहे सर्बानंद सोनोवाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रताप और ईश्वर की कृपा के कारण. जी हां! भाजपा ने नॉर्थ ईस्ट के असम में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बडी जीत हासिल की है. वह नॉर्थ इस्ट जिसक बारे में कहा जाता था कि यहां या तो क्षेत्रीय दलों की चलती है या फिर कांग्रेस की तूती बोलती है. असम में भाजपा को मिली सफलता से यहां के लोग भी उत्साहित हैं. उनकी उम्मीदें बढ़ी हैं. स्वाभाविक है केंद्र में एनडीए की सरकार होने से लोगों को उम्मीद है कि असम का विकास जरूर होगा और इसमें केंद्र सरकार पूरा सहयोग करेगी।

दूसरी ओर यदि असम के मुख्यमंत्री बने सर्बानंद सोनोवाल के बारे में बात करें तो वे असम के आदिवासी परिवार से हैं. उनका जन्म 31 अक्टूबर 1961 को असम के डिब्रूगढ़ में हुआ. मगर उनकी कार्य ऊर्जा उन्हें विशेष बनाती है. वे ऐसे खेल मंत्री रहे हैं जो कि खेलों में भारत को किसी विशेष स्थान पर पहुंचान का लक्ष्य रखता हो. उन्होंने खेलों के राजनीतिक क्षेत्र में भारत को आगे ले जाने के लिए खिलाड़ियों की तरह मेहतन की है. खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधा की बात हो या फिर उनके लिए जुटाए जाने वाले संसाधन और उनकी फिटनेस की सर्बानंद सभी पर ध्यान देते थे. सच ही है एक खिलाड़ी का दर्द एक खिलाड़ी ही समझ सकता है. जाहिर सी बात है। राजनीति में भी उनकी स्पोर्टसमैन स्परिट साफ नज़र आती है।

एक बड़े दल में स्थान मिलने और असम के लिए सीएम कैंडिडेट चुने जाने के बाद भी उन्होंने भद्र राजनीति का परिचय दिया. असम के विकास के लिए उन्होंन सबसे पहले उन समस्याओं को चुना जो यहां के क्षेत्र को अशांत करती हो. उन्होंने उग्रवाद को दूर करने और सीमाओं को सेफ करने की बात कही है. यही नहीं भारत के भूभाग में शामिल हुए बांग्लादेशी क्षेत्र और यहां के निवासियों को अपनाने को लेकर भी उन्होंने सकारात्मक चिंतन किया है. उन्होंने कहा था कि सत्ता में काबिज होने के बाद इन लोगों को भारतीय नागरिक के तौर पर पहचान दिलवाई जाएगी।

जो उनकी दूरदर्शिता को दर्शाता है. यही नहीं असम के पर्यटक महत्व, यहां के चाय बागानों, कलाकारियों आदि को एक अलग पहचान देने की दिशा में वे पीएम मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे. हो सकता है केंद्र सरकार यहां बिजली और पानी की पर्याप्तता होने के बाद इसके सुव्यवस्थित वितरण की बात पर चिंतन भी करेगी।

'लव गडकरी'

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