20 जुलाई को है संकष्टी चतुर्थी, श्रावण में विशेष है इसका महत्त्व
20 जुलाई को है संकष्टी चतुर्थी, श्रावण में विशेष है इसका महत्त्व
Share:

श्रावण माह  के कृष्णपक्ष की संकष्टी गणेश चतुर्थी की पूजा अर्चना के साथ कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. बता दें, हर माह में दो बार गणेश चतुर्थी की तिथि आती है. एक कृष्णपक्ष में और दूसरी शुक्लपक्ष में. कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी गणेश चतुर्थी कहा जाता है, जबकि शुक्लपक्ष में जो चतुर्थी आती है, उसे विनायक चतुर्थी अथवा वरद चतुर्थी कहा जाता है. वहीं कृष्णपक्ष में आनेवाली चतुर्थी को बड़ी चतुर्थी के रूप में माना जाता है. क्योंकि कृष्णपक्ष का ज्यादा महत्व है और चतुर्थी तिथि अगर कृष्णपक्ष में आयेगी तो विशेष फलदायी होगी. आपको बता दें, इसका क्या लाभ होता है. 

संपूर्ण ब्रह्माण्ड व्याप्त है गणेश जी के शरीर में
इस वर्ष 20 जुलाई 2019 के दिन श्रावण मास के कृष्णपक्ष की संकष्टी गणेश चतुर्थी है. इस दिन भगवान गणेश जी का व्रत एवं उपवास किया जाता है. गणेश जी पूजा में भगवान के नाम का उच्चारण किया जाता, बल्कि मंत्र का जाप किया जाता है. पूजा के पहले और बाद में भूलकर भी गणेश जी की पीठ का दर्शन नहीं करना चाहिए. गणेश जी के शरीर के सभी अंगों में सम्पूर्ण ब्रह्मांड निवास करता है. सूंड़ में धर्म विद्यमान है, कानों पर ऋचाएं हैं, दाएं हाथ में वर तो बाएं हाथ में अन्न, पेट में समृद्धि, नाभि में ब्रह्माण्ड है, आंखों में लक्ष्य, मस्तष्क पर ब्रह्मलोक विराजित हैं.  

कैसे करें गणेश जी की पूजा-अर्चना
संकष्टी गणेश चतुर्थी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठें और स्नान-ध्यान कर लाल श्वेत वस्त्र पहनें. सर्वप्रथम व्रत का संकल्प लें. उसके बाद गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें. गणेश जी को जनेऊ पहनाएं, अबीर गुलाल चंदन से सिंदूर, इत्र आदि से गणेश जी का विशेष पूजन करें. चावल सहित अन्य पूजन सामग्री भगवान को समर्पित करें. इसके पश्चात भगवान की प्रिय वस्तु दुर्वा, गुड़ और लड्डू का भोग लगाएं. इसके पश्चात नारियल चढ़ाकर पान, तांबुल, सुपाड़ी, लौंग, इलायची ये सारी वस्तुएं तथा फल चढ़ाकर कपूर से गणेश जी की आरती करें.

महान फलदायी है ये चतुर्थी 
गणेशजी की पूजा के पश्चात प्रसाद का वितरण करें. और गणेश चतुर्थी का व्रत चंद्रोदय तक जारी रहता है. चंद्रमा का दर्शन करने के बाद ही व्रत का समापन किया जाता है. इस श्रावण मास की संकष्टि चतुर्थी का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है. इससे घर की दरिद्रता का निवारण होता है, संतान सौभाग्यदायक मानी गयी है. रोगों का नाश करने वाली और शत्रुओं का विनाश करने वाली यह चतुर्थी सबसे उत्तम मानी गयी है. 

सावन में करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप, होते हैं ये 13 चमत्कार

हर बढ़ा को दूर करेंगे श्री गणेश के ये 12 नाम मंत्र, बुधवार को जरूर पढ़ें

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -