'अच्छे दिन आएंगे' के जोशीले नारे के बावजूद आज पूरे देश में गरीबी और भिखारी हैं: शिवसेना
'अच्छे दिन आएंगे' के जोशीले नारे के बावजूद आज पूरे देश में गरीबी और भिखारी हैं: शिवसेना
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मुंबई: शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में हर रविवार को अपने ‘रोखठोक’ नाम से लिखे जाने वाले एक लेख में शिवसेना सांसद संजय राउत हमेशा अलग-अलग विषयों पर अपने विचार लिखते रहते हैं। वह कई बार अपने लेख में विपक्षी पार्टियों के नेताओं और नीतियों पर कटाक्ष किया करते हैं। इसी के साथ कभी-कभी वह सामाजिक मुद्दों पर भी लिखा करते हैं। अब आज के ‘सामना’ में उनके रोखठोक’ लेख का विषय ‘भीख मांगने का अधिकार’ है। इसमें उन्होंने ‘रोटी, कपड़ा, मकान और भीख मांगने का अधिकार’ मुद्दे पर विचार रखते हुए लिखा, 'नोटबंदी और लॉकडाउन के कारण 23 करोड़ लोग नए सिरे से गरीबी रेखा से नीचे आ गए हैं। लोगों पर भीख मांगने का समय आ गया है। सड़कों पर, सार्वजनिक स्थानों पर भीख मांगना कानूनन अपराध है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब कहा है कि अगर सरकार गरीबों के लिए कुछ नहीं कर सकती है, तो भीख मांगना एक अधिकार है!'

इसी के साथ उन्होंने आगे लिखा, 'नोटबंदी का निर्णय भारी पड़ गया। अब कोरोना काल में लगे लॉकडाउन की वजह से देश के 23 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे चले गए। उनमें से बड़ी जनसंख्या ने रोजगार और आजीविका खो दिया और एक दिन उन पर भीख मांगने का वक्त आ जाएगा। देश में भिखारियों की संख्या बढ़ रही है और इसे एक सामाजिक समस्या के रूप में देखा जाना चाहिए। हमारे देश में भिखारियों की सही संख्या कितनी है? मार्च 2021 के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में भिखारियों की संख्या चार लाख से ज्यादा है। अर्थात निश्चित तौर पर कितना? यह दुविधा ही है।'

वहीं आगे संजय राउत ने लिखा है, 'कभी अमीर रहे विजय माल्या को कोर्ट ने दिवालिया घोषित कर दिया। इसलिए वह भी कंगाल और भिखारी ही है। यही बात मेहुल चौकसी और नीरव मोदी के मामले में भी कही जानी चाहिए। देश में अमीर भिखारियों की ही संख्या बढ़ रही है। हजारों करोड़ का सरकारी कर्ज डुबाकर ये अमीर खुद को दिवालिया घोषित कर देते हैं और फिर उसी अमीरी ठाठ से रहते हैं। इन भिखारियों का क्या करना चाहिए? यह सवाल ही है। हमारे सभी धार्मिक स्थलों पर क्या दिखता है? गरीब प्रार्थना स्थलों के बाहर भीख मांगते हैं और अमीर अंदर खड़े होकर भीख मांगते हैं, लेकिन भगवान केवल अमीर भिखारियों पर ही प्रसन्न होते हैं!'

इसी के साथ उन्होंने यह भी लिखा है- 'हिंदुस्तान जैसे देश में गरीबी और भिखारी क्यों पैदा हो रहे हैं? पिछले पचास वर्षों से हर सरकार ‘गरीबी उन्मूलन’ के नारे के साथ चुनाव लड़ रही है। मोदी ने तो गरीबी उन्मूलन के लिए प्रत्येक नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रुपए डालकर हर घर में खुशहाली लाने की घोषणा की थी। ‘गरीबी उन्मूलन’ का मजाक उड़ाते हुए ‘अच्छे दिन आएंगे’ के जोशीले नारे के बावजूद आज पूरे देश में गरीबी और भिखारी हैं।'

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