
संभल: उत्तर प्रदेश के संभल में पुरातात्विक खुदाई के दौरान एक और प्राचीन कूप (कुआं) मिला है, जिसे 'रामकूप' बताया जा रहा है। इस कूप के पास स्थित श्री राम चबूतरे के अवशेष भी सामने आए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कूप करीब 25 साल पहले मिट्टी डालकर बंद कर दिया गया था और इसके आसपास अतिक्रमण कर लिया गया था। प्रशासन अब इस क्षेत्र में व्यापक सर्वेक्षण और खुदाई कर रहा है ताकि इन ऐतिहासिक स्थलों की सच्चाई सामने लाई जा सके।
1968 में हुए हिंदू-मुस्लिम दंगों के बाद, हिंदू समुदाय ने सुरक्षा और समर्थन के अभाव में संभल से पलायन कर दिया था। यह क्षेत्र, जो पहले हिंदुओं की एक महत्वपूर्ण तीर्थनगरी था, धीरे-धीरे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में बदल गया। मंदिरों और पवित्र कूपों को बंद कर दिया गया, और कई स्थानों पर अतिक्रमण कर लिया गया। संभल के पौराणिक और धार्मिक महत्व का उल्लेख हिंदू ग्रंथों में मिलता है, जिनमें 19 कूपों और 68 तीर्थ स्थलों का वर्णन है। यही नहीं, ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि भगवान विष्णु के अंतिम अवतार कल्कि का जन्म यहीं होगा।
हाल ही में, जब जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश अदालत ने दिया, तो बिजली चोरी और अतिक्रमण के बड़े मामले सामने आए। इस सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भी भड़क गई। इसके बाद प्रशासन ने इस क्षेत्र में गहन छानबीन शुरू की। खुदाई के दौरान ऐसे कई प्राचीन स्थल मिल रहे हैं, जो ग्रंथों में वर्णित थे। प्रशासन ने बुधवार को जामा मस्जिद के पास स्थित रामकूप का पता लगाया। बताया जा रहा है कि यह कूप श्री राम चबूतरे के पास स्थित है। स्थानीय लोगों के अनुसार, पहले इस कूप के पास पूजा होती थी। लेकिन अतिक्रमण और उपेक्षा के चलते इसे बंद कर दिया गया था। अब, जब योगी सरकार ने इस क्षेत्र में सर्वेक्षण और खुदाई का काम तेज़ किया है, तो बंद पड़े मंदिर और कूपों के अवशेष लगातार मिल रहे हैं।
रामकूप की खुदाई नगरपालिका और पुलिस की निगरानी में चल रही है। इससे पहले भी संभल में कई जगहों पर प्राचीन मंदिरों और कूपों के अवशेष मिल चुके हैं। इस खोज से यह साबित हो रहा है कि संभल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना ग्रंथों में वर्णित है।
योगी सरकार अब इन धरोहरों को संरक्षित करने और क्षेत्र की पौराणिकता को पुनर्जीवित करने के प्रयास में लगी है। सरकार का उद्देश्य न केवल इतिहास को पुनः उजागर करना है, बल्कि उन पीड़ितों को न्याय दिलाना भी है, जिन्होंने अपने तीर्थ और सांस्कृतिक धरोहरों को खो दिया था।