इंदौर : श्वेतांबर जैन धर्म में सबसे कठिनतम 'गुणरत्न संवत्सर" तप को माना जाता है .इसी तप को कर रहीं सागर समुदाय की साध्वी गुणरत्नाश्रीजी का 57 वर्ष की आयु में शुक्रवार को हृदयगति रुकने से देवलोकगमन हो गया.कालानी नगर स्थित उपाश्रय में सुबह 7.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. अंतिम संस्कार हृींकारगिरि तीर्थ की तलहटी में किया गया.
उल्लेखनीय है कि साध्वी गुणरत्नाश्रीजी 16 महीने की इस कठोर आराधना में से 15 महीने से अधिक पूरे कर चुकी थीं.जो दिनों की गणना में वे 480 दिन की तप आराधना में से 454 दिन होते हैं.कालानी नगर स्थित उपाश्रय में सुबह 7.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. इससे पूर्व सुबह 6 बजे उन्होंने प्रतिक्रमण किया.तप के दौरान उन्होंने 72 दिन आहार के रूप में पेय पदार्थ लिया था.उनका वजन 67 किलो से घटकर सिर्फ 22 किलो रह गया था.
उनके देवलोकगमन की खबर लगते ही अंतिम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का ताँता लग गया. 5 हजार से अधिक लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. दोपहर 3 बजे उनका डोला उपाश्रय से निकला. अंतिम संस्कार हृींकारगिरि तीर्थ की तलहटी में किया गया. बता दें कि देपालपुर में मंडोरा परिवार में जन्मी साध्वी की दीक्षा 17 साल की उम्र में हो गई थी. उन्हें आचार्य अभ्युदय सागर महाराज ने दीक्षा दिलाई थी.
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