उज्जैन: सिंहस्थ 2016 का अंतिम और तीसरा शाही स्नान वैशाख शुक्ल पक्ष को संपन्न हुआ. इस दौरान बड़े पमाने पर श्रद्धालुओं ने नदी में डुबकी लगाई. अखाड़ों के परंपरागत स्नान के साथ ही लाखों श्रद्धालुओं ने शिप्रा में स्नान कर मोक्ष की कामना की. मोक्ष के लिए लाखों श्रद्धालु शिप्रा में स्नान करने नदी के घाटों पर पहुंचे.
स्नान के ही साथ श्रद्धालुओं ने शहर के तीर्थ स्थलों में दर्शन और पूजन का लाभ लिया. सिंहस्थ का स्नान करने के बाद अब नागा साधुओं के डेरे शहर से विदा होने लगें हैं. हालांकि अभी मेले में 28 मई तक रौनक बनी रहेगी. यहां 28 मई तक साधु-संतों के रहने की संभावना है।
कुछ स्थानों पर तो अन्न क्षेत्र भी चलेंगे जबकि कुछ स्थानों पर कीर्तन आदि होंगे. साधु संत अपनी परंपराओं के अनुसार विदाई के पहले कढ़ी-पकोड़ा खाऐंगे. दरअसल कढ़ी-पकोड़ा का सेवन करने क बाद साधु-संत अपने पड़ाव स्थल से विदा लेते हैं. ऐसे में साधुओं द्वारा कहा जाता है कि "कढ़ी पकौड़ा बेसन का, रास्ता पकड़ो स्टेशन का|" साधु संत और श्रद्धालु दोनों ही मेले को कुछ और दिन बढ़ाना चाहते हैं ऐसे में प्रशासन ने भी 28 मई तक मेले में व्यवस्थाऐं रखने का निर्णय लिया है. ऐसे में शहर मं स्हिस्थ की चहल-पहल 28 मई तक रहेगी।