कानून मंत्री गौड़ा को भूखंड मामले में राहत
कानून मंत्री गौड़ा को भूखंड मामले में राहत
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नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा को भूखंड से जुड़े एक विवादास्पद मामले में शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिल गई। शीर्ष अदालत ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें उसने बेंगलुरू विकास प्राधिकरण (बीडीए) को गौड़ा को आवंटित आवासीय भूखंड वापस लेने का आदेश दिया था। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे की पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील को मंजूरी देते हुए कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश कानून सम्मत नहीं था। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि भूखंड पर किया गया निर्माण लीज एग्रीमेंट या पट्टा समझौते के नियम एवं शर्तो का उल्लंघन है।

उच्च न्यायालय के आदेश को सदानंद गौड़ा और राज्य के पूर्व नागरिक आपूर्ति मंत्री डी.एन. जीवराज ने चुनौती दी थी, जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपना आदेश 29 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था। उच्च न्यायालय ने 19 अक्टूबर, 2012 के अपने आदेश में बेंगलुरू विकास प्राधिकारण को गौड़ा और जीवराज के खिलाफ दो आवंटित भूखंडों पर पट्टा समझौते के अनुरूप अलग रिहायशी संरचना के बजाय एक एकीकृत भवन बनाने के मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने 2013 में उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने वृहद बेंगलुरू महानगर पालिका (बीबीएमपी) द्वारा उनके पक्ष में अनुमोदित निर्माण की योजना को भी खारिज कर दिया था। गौड़ा को भूखंड 20 अक्टूबर, 2006 में आवंटित किया गया था। वह उस वक्त कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के उप नेता थे। उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2012 का आदेश के.जी. नागालक्ष्मी बाई की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था।

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